नई दिल्ली, 23 मार्च (आईएएनएस)। भारतीयों द्वारा विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने, इसे रोकने और भविष्य में इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रस्तावित नए विधेयक के तहत सिर्फ अपराधियों पर ही नहीं, बल्कि इस गोरखधंधे में लिप्त बैंकों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, निदेशकों और कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने प्रस्तावित नए विधेयक की बारीकियों को समझाते हुए कहा है, “काले धन के मोर्चे पर सख्त कार्रवाई करने की सरकार की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए काले धन की समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए एक अभूतपूर्व और बहुआयामी पहल की गई है।”
केद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अघोषित विदेशी आय व संपत्ति पर कराधान विधेयक, 2015 लोकसभा में पेश करते हुए कहा है, “सरकार को विश्वास है कि यह नया कानून एक सशक्त निवारक की तरह काम करेगा और भारतीयों द्वारा विदेशों में जमा काले धन पर लगाम लगाने में सक्षम होगा।”
उन्होने कहा, “इस कानून के तहत किसी अन्य व्यक्ति के बहकावे में आकर गलत रिटर्न दाखिल करने, खातों की गलत जानकारी या बयान दर्ज कराना दंडनीय होगा। इसके लिए छह महीने से लेकर सात साल तक के सश्रम कारावास की सजा का प्रावधान है।”
उन्होंने कहा, “भारतीयों की विदेशी आय और संपत्तियों से संबंधित जानकारियों को छिपाने और नकली दस्तावेज जमा करने के लिए यह प्रावधान बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर भी लागू होता है।” इस विधेयक में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इसके तहत व्यक्ति या फिर कंपनी, दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
विधेयक के मुताबिक, यदि किसी कंपनी या फिर व्यक्ति द्वारा अपराध किया जाता है तो उसे उसी समय अपराधी करार दिया जाएगा। इसमें कंपनी का प्रबंध निदेशक, निदेशक, सचिव या वह कोई भी अधिकारी शामिल हो सकता है, जिसकी अपराध में सहमति हो, साठंगांठ हो या इस मामले को नजरअंदाज किया हो।
जेटली ने इस तरह के मामलों पर स्पष्ट रूप से कहा कि विदेशी आय के संबंध में कर से बचने के लिए स्वयं को बिल्फुल डिफॉल्टर दिखाने पर जुर्माने के साथ-साथ तीन से 10 साल तक के सश्रम कारावास की सजा होगी।
इस विधेयक में भुगतान योग्य राशि की वसूली करने के तरीके भी शामिल किए गए हैं।