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 कृष्णा रानी बन गई ‘कैलाशी बम’ | dharmpath.com

Wednesday , 7 May 2025

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कृष्णा रानी बन गई ‘कैलाशी बम’

मनोज पाठक

मनोज पाठक

देवघर, 27 जुलाई (आईएएनएस)। महादेव को प्रिय सावन महीने में लाखों कांवड़िये ‘बोलबम’ के उद्घोष के साथ झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं, लेकिन ये कांवड़िये भी 66 वर्षीय डाकबम एक महिला को अपनों के बीच पाकर ‘बोलबम’ का उद्घोष छोड़ ‘कृष्णा बम’, ‘कैलाशी बम’ का उद्घोष करने लगते हैं।

66 वर्षीय कैलाशी बम पिछले 36 वर्षो से सावन में प्रत्येक रविवार को सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा से जल उठाकर डाकबम बन सोमवार को शिव के दरबार में पहुंचती हैं और जलाभिषेक करती हैं।

बिहार की मुजफ्फरपुर की रहने वाली कृष्णा रानी जो एक शिक्षिका थीं, अब ‘कृष्णा बम’ और ‘कैलाशी बम’ बन गई हैं। उन्हें देखने और उनसे आर्शीवाद लेने के लिए रास्ते में लोग कतार में खड़े रहते हैं।

सावन के प्रत्येक सोमवार को कृष्णा ‘डाक बम’ के रूप में देवघर पहुंचती हैं और बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक करती हैं। इस वर्ष सावन महीने के प्रथम सोमवार को भी कृष्णा रानी बाबा के दरबार में पहुंची और जलार्पण किया।

डाकबम उसे कहा जाता है जो सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर लगातार चलते हुए 24 घंटे के अंदर शिव के दरबार में पहुंचता है। यह संकल्प सुल्तानगंज में ही जल उठाते समय लिया जाता है। डाकबम को जलार्पण के लिए विशेष सुविधा दी जाती है।

इस समय रविवार व सोमवार को डाकबम की विशेष सुविधा नहीं दी जाती है, मगर ऐसे में भी कृष्णा बम को विशेष सुविधा दी जाती है।

डाकबम कृष्णा बताती हैं कि वह सावन के प्रत्येक रविवार को दोपहर ढाई से तीन बजे के बीच सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से जल उठाती हैं। पूर्व में सुल्तानगंज में जल भरने के बाद 12 घंटे में देवघर पहुंचती थी, लेकिन अब 15 घंटे लग जाते हैं।

इस वर्ष पहली सोमवार को वे सुल्तानगंज से बाबा बैद्यनाथ धाम की 105 किलोमीटर की यात्रा 18 घंटे में पूरी की।

इस क्रम में बाबा के भक्त कृष्णा बम के दर्शन के लिए लालायित रहते हैं। सुल्तानगंज, तारापुर, रामपुर नहर, कटोरिया और सुइया पहाड़ क्षेत्र में कृष्णा बम को देखने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है। रास्ते में सुरक्षा के लिए पुलिस की व्यवस्था भी रहती है।

वैशाली के प्रतापगढ़ में जन्मी व मुजफ्फरपुर के एक विद्यालय में शिक्षिका रही कृष्णा बम ने बताया कि वह लगातार 36 वर्षो से सावन महीने की प्रत्येक सोमवार को देवघर आ रही हैं।

वह बताती हैं कि वर्ष 2013 में अवकाश प्राप्त करने के बाद अब उनका पूरा समय परिवारों के बीच और भगवान की भक्ति में गुजर रहा है।

कृष्णा कहती हैं, “मैं खुद को भगवान शिव के हवाले कर चुकी हूं। भगवान मेरे शरीर में जब तक ताकत रखेंगे, मैं उनके दरबार में आती रहूंगी।”

वह कहती हैं कि विवाह के बाद उनके पति नंदकिशोर पांडेय कालाजार से पीड़ित हो गए थे। दिनोंदिन उनकी हालत खराब होती जा रही थी। तब उन्होंने संकल्प लिया कि पति के ठीक होने पर वह कांवड़ लेकर हर साल सावन में बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करेंगी। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुन ली।

कृष्णा साइकिल से 1900 किलोमीटर तक की वैष्णो देवी की यात्रा भी कर चुकी हैं। इसके अलावा हरिद्वार से बाबाधाम, गंगोत्री से रामेश्वरम और कामरूप कामख्या की भी यात्रा साइकिल से कर चुकी हैं।

कृष्णा को सुल्तानगंज से देवघर के बीच सावन में लगने वाले श्रावणी मेले को राष्ट्रीय मेला घोषित नहीं किए जाने का मलाल है।

कृष्णा कहती हैं कि सुल्तानगंज से देवघर के बीच कांवड़ियों के लिए अभी और सुविधा बढ़ाने की जरूरत है तथा इतने बड़े मेले को अब तक राष्ट्रीय मेला घोषित नहीं किया जाना दुख देता है।

कृष्णा रानी बन गई ‘कैलाशी बम’ Reviewed by on . मनोज पाठकमनोज पाठकदेवघर, 27 जुलाई (आईएएनएस)। महादेव को प्रिय सावन महीने में लाखों कांवड़िये 'बोलबम' के उद्घोष के साथ झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ का जलाभ मनोज पाठकमनोज पाठकदेवघर, 27 जुलाई (आईएएनएस)। महादेव को प्रिय सावन महीने में लाखों कांवड़िये 'बोलबम' के उद्घोष के साथ झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ का जलाभ Rating:
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