मुंबई, 26 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन ने मंगलवर को कहा कि सरकार को एक स्थिर सतत विकास के लिए अपने केंद्रीय बैंकों की स्वायतत्ता बरकरार रखनी चाहिए।
राजन ने यहां 10वें सांख्यिकी दिवस सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “यह जरुरी है कि दुनिया भर की सरकारें बेखबर और निजी हितों से प्रायोजित सार्वजनिक आलोचना से ऊपर उठकर अपने केंद्रीय बैंकों की स्वायतत्ता को बचाए।”
उन्होंने कहा कि बिना सबूतों के केंद्रीय बैंक की आलोचना काफी व्यापक है।
बैंक ऑफ इंग्लैंड की आलोचना ब्रेक्सिट की आर्थिक कीमत को लेकर हो रही है। वहीं, यूरोपीय संघ की ईसीबी (यूरोपीय केंद्रीय बैंक) पर परेशानी में पड़ी वित्तीय क्षेत्र की सेहत सुधारने के लिए काफी ज्यादा कदम उठाने को लेकर की जाती है। फेडरल रिजर्व सिस्टम की आलोचना टेलर नियम को छोड़ने के लिए की जाती है।
टेलर नियम एक मौद्रिक नीति है मुद्रास्फिति और अन्य व्यापक आर्थिक कारकों के समान्तर ब्याज दरों को निर्धारित करता है।
गर्वनर ने कहा कि उच्च मुद्रास्फिति का सबसे ज्यादा असर समाज के सबसे गरीब तबके पर पड़ता है, जिससे अंत में संकट ही पैदा होता है।
राजन ने कहा, “केंद्रीय बैंक के लिए विकास दर को मजबूती देने का सबसे अच्छा तरीका मुद्रास्फिति को कम और स्थिर रखना है। यह जरुरी है कि व्यापक आर्थिक स्थितरा सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों का निर्माण किया जाए। यही कारण है कि सरकारें आरबीआई की स्वायतत्ता को बरकरार रखती है।”
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने एक औपचारिक मुद्रास्फीति लक्ष्य और मौद्रिक नीति समिति का गठन कर कम मुद्रास्फीति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के गैर-खाद्य ऋण की वृद्धि दर में नरमी मांग या पूंजी में कमी के कारण नहीं है, न ही यह उच्च ब्याज दर के कारण है। इसका मुख्य कारण सार्वजनिक बैंकों पर पड़ा हुआ बोझ है जो उनके द्वारा पहले ऋण देने में की गई गलतियों का नतीजा है।
“इसे केवल ब्याज दरों में कटौती से नहीं सुधारा जा सकता। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की बैंलेंस शीट की सफाई बहुत जरूरी है, जिस पर काम जारी है और इसे तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि शुरुआती हिचकिचाहट के बाद बैंक इस काम के लिए तैयार हो गए हैं और अब इस पर काम जारी है। यह रिजर्व बैंक का कर्तव्य है कि वह बैंकों पर इस साफ सफाई के लिए पहले ही दबाव डालता।
शेयर बाजार ने इस साल की शुरुआत में इस पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी। लेकिन अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शेयरों को मिले समर्थन को देखते हुए कहा जा सकता है कि बैंकों की साफ-सफाई का काम मध्यम अवधि में सही दिशा में चल रहा है।