हैदराबाद, 26 जून (आईएएनएस)। यहां के एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने शुक्रवार को लोकायुक्त से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों की सरकारों को केंटकी फ्राइड चिकन (केएफसी) की सभी दुकानें बंद करने के लिए आदेश पारित करने की मांग की है। उनका कहना है कि फास्ट फूड की जानी-मानी कंपनी की दुकान से कुछ नमूने एकत्रित किए गए थे, जिनमें साल्मोनेला और ई. कोलाई वैक्टीरिया मिले हैं।
कंपनी ने हालांकि आरोपों को झूठा करार देते हुए खारिज कर दिया है।
आंध्र प्रदेश के लोकायुक्त ने दोनों राज्यों की सरकारों को नोटिस जारी किया है और उनसे पांच अगस्त तक मामले पर एक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।
आंध्र प्रदेश बलाला हक्कुला संगम के अच्युता राव ने आईएएनएस से कहा, “चूंकि नमूनों का परीक्षण सरकारी प्रयोगशाला में किया गया है जिसमें हानिकारक रोगाणुओं के मिले होने की बात सामने आई है, इलीलिए हम केएफसी को बंद करने के आदेश देने की मांग करते हैं।”
बच्चों के अधिकारों के लिए काम कर रहे एनजीओ ने हैदराबाद स्थित केएफसी की दुकानों से पांच नमूने इकट्ठे किए थे और उनका परीक्षण तेलंगाना की राज्य खाद्य प्रयोगशाला में किया गया था।
इस रपट में खाद्य विश्लेषक ए.वी. कृष्ण कुमारी के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा कि इन नमूनों में साल्मोनेला और ई. कोलाई वैक्टीरिया मिले हैं, जो सेवन करने के लिहाज से सुरक्षित नही हैं। उन्होंने कहा, “मेरी राय के मुताबिक नमूनों में साल्मोनेला और ई. कोलाई वैक्टीरिया मिले हैं, जो कि रोगजनक हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। इसीलिए यह असुरक्षित है।”
अच्युता राव ने कहा कि उन्होंने नमूने इसलिए एकत्रित किए और उनका परीक्षण कराया क्योंकि ज्यादातर बच्चे केएफसी के खाने को पसंद करते हैं।
केएफसी ने हालांकि आरोपों को खारिज किया है।
केएफसी के एक प्रवक्ता ने कहा, “इस कथित रिपोर्ट के माध्यम से झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि हमारी दुकानों से नमूने एकत्रित किए जा रहे हैं, और इस कथित परीक्षण के लिए इन्हें किन परिस्थितियों में ले जाया गया। यह खराब होने वाली खाद्य सामग्री है, जो तत्काल सेवन के लिए तैयार किए जाते हैं। हमें इस संबंध में किसी भी अधिकारी से कोई सूचना नहीं मिली है।”
अच्युता राव ने हालांकि कहा कि नमूनों को आधा घंटे के भीतर परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेज दिया गया था। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते क्योंकि इनका परीक्षण सरकार द्वारा संचालित प्रतिष्ठिट प्रयोगशाला में किया गया है।
वहीं केएफसी ने कहा कि उसके खाद्य पदार्थो में सूक्ष्म जीवाणुओं के विकसित होने की कोई संभावना ही नहीं है क्योंकि उन्हें 170 डिग्री सेल्सियस पर पकाया जाता है।