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 कोयला मामला : मनमोहन को सम्मन पर रोक (राउंडअप) | dharmpath.com

Wednesday , 7 May 2025

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कोयला मामला : मनमोहन को सम्मन पर रोक (राउंडअप)

नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राहत देते हुए विशेष अदालत की ओर से उन्हें भेजे गए सम्मन पर बुधवार को रोक लगा दी। अदालत ने तालबिरा-2 कोयला ब्लॉक की 15 फीसदी हिस्सेदारी उद्योगपति कुमारमंगलम बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को आवंटित किए जाने के संबंध में उन्हें भेजा था।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी.गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति सी.नागप्पन की पीठ ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत की ओर से 11 मार्च को पूर्व प्रधानमंत्री को भेजे गए सम्मन पर रोक लगा दी। इससे पहले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने विशेष अदालत द्वारा मनमोहन को सम्मन भेजने वाले 11 मार्च के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आवंटन में गैरकानूनी क्या था?

अदालत संख्या-9 की दर्शक दीर्घा में मनमोहन सिंह की दो बेटियां उपिंदर सिंह और दमन सिंह भी मौजूद थीं।

न्यायालय ने मनमोहन को भेजे गए सम्मन पर रोक लगाते हुए विशेष अदालत के 11 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस भी जारी किया।

न्यायालय ने कुमारमंगलम की याचिका पर केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की एक धारा की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।

सर्वोच्च न्यायालय ने मनमोहन के साथ-साथ कुमारमंगलम, पूर्व केंद्रीय कोयला सचिव पी.सी.पारेख, डी.भट्टाचार्य और हिंडाल्को को भेजे गए सम्मन पर भी रोक लगा दी है।

सिब्बल ने सवाल किया, “क्या खानों का आवंटन करना अवैध है? क्या खनन के लिए निजी कंपनियों को चुनना अवैध है? यदि मैं (प्रधानमंत्री) अनुवीक्षण समिति से सहमत नहीं होता हूं, तो क्या यह अवैध है?”

उन्होंने यह भी सवाल किया था कि क्या प्रधानमंत्री संचालन समिति के फैसलों की समीक्षा और तलाबिरा-2 के एक हिस्से को हिंडाल्को को आवंटित कर जनहित में प्रतिस्पर्धा को संतुलित नहीं कर सकते?

सिब्बल ने कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन के दिशानिर्देशों की प्रकृति वैधानिक नहीं है और प्रधानमंत्री किसी भी वक्त दिशानिर्देश जारी करते हुए निर्णय ले सकते हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन ने 25 मार्च को विशेष अदालत के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

कोयला ब्लॉक आवंटन मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने 11 मार्च, 2015 को मनमोहन को वर्ष 2005 में ओडिशा के तालबिरा-2 और तालबिरा-3 कोयला ब्लॉक के एक हिस्से को कुमारमंगलम बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को आवंटित करने के मामले में सम्मन जारी कर अपने समक्ष पेश होने के लिए कहा था।

अदालत ने मनमोहन, कुमारमंगलम, पारेख, भट्टाचार्य को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी आदि के लिए सम्मन भेजा था।

अदालत ने इस मामले में सीबीआई की तरफ से पेश समापन रिपोर्ट को खारिज करते हुए मनमोहन, कुमारमंगलम, भट्टाचर्य और पारेख को सम्मन जारी किया था।

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