पतित पावनी मां गंगा हमारी संस्कृति की मूलधारा हैं। सनातन धर्म का विकास मां गंगा की पावन गोद में हुआ है सभी राष्ट्रप्रेमी लोगों का दायित्व है वे यथा संभव ऐसा प्रयास करे कि भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म की श्रोत सुरसरि गंगा का प्रवाह सतत बना रहे। उक्त विचार स्वामी प्रज्ञानंद जी महाराज ने प्रवचन के दौरान यह विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जल और वायु का प्रदूषण जब पराकाष्ठा पर पहुंच जाता है तब पर्यावरण का असंतुलन अनेक प्राकृति विप्लवों एवं आपदाओं को जन्म देता है।
ब्रेकिंग न्यूज़
- » पाकिस्तान को एक और झटका देने की तैयारी में भारत
- » कश्मीर टूरिज्म पर पड़ा असर, मध्य प्रदेश से 200 से ज्यादा बुकिंग रद्द
- » भोपाल स्थित भेल परिसर की आयल टंकियों में ब्लास्ट से उठीं 20 फीट ऊंची लपटें
- » गौतम गंभीर को मिली जान से मारने की धमकी
- » मंडीदीप:गेल प्लांट से गैस रिसाव, घंटों की मशक्कत के बाद कंट्रोल में आई स्थिति
- » सिंधु समझौता स्थगित, अटारी बॉर्डर बंद, पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द
- » सऊदी का दौरा बीच में छोड़ लौट रहे हैं PM मोदी
- » पहलगाम:आतंकी हमले से देश स्तब्ध
- » इंदौर में फिर कोरोना वायरस की दस्तक
- » नीमच-कार-कंटेनर की टक्कर से चार युवकों की मौत, तीन घायल