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गर्भवती के रक्त में ग्लूकोज बढ़े तो सावधान!

नई दिल्ली, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। कुछ महिलाओं को गर्भधारण के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या होती है। ऐसी मां के नवजात बच्चे में कुछ जन्मजात बीमारियां होने का खतरा 40 से 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। ध्यान रहे, मां के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने पर नवजात शिशु मानसिक रोगी भी हो सकता है।

अंकिता कपूर 32 साल की हैं। उनका वजन वजन 89 किलो है। गर्भावस्था के दौरान उन्हें जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकायत थी। उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिस कारण उनका बच्चा असामान्य आकर के लीवर, हार्ट और एड्रिनल ग्रैंड्स के साथ पैदा हुआ।

दिल्ली के एक निजी अस्पताल में सेवारत ऑब्स्टेट्रिशन गायनिकोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना धवन बजाज बताती हैं कि जीवन शैली से संबंधित एक सामान्य बीमारी माने जाने वाली डायबिटीज जब एक गर्भवती महिला में होती है तो उसके परिणाम जानलेवा भी हो सकते हैं। जिन महिलाओं में गर्भधारण के दौरान डायबिटीज की शिकायत होती है, उन्हें मासिक धर्म में अनियमितता होती है और गर्भ धारण करने में भी काफी परेशानी होती है।

उन्होंने कहा कि डायबिटिक मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्मजात रोग या अन्य कई बड़ी शारीरिक कमियां हो सकती हैं। जैसे, नर्वस सिस्टम में खराबी, स्पाइना बिफिडिया, वातरोग, मूत्राशय तथा हृदय संबंधी रोग भी हो सकते हैं।

डॉ. अर्चना ने बताया कि जेस्टेशनल डायबिटीज के कोई सांकेतिक लक्षण नहीं होते, लेकिन कभी-कभी हाई ब्लडप्रेशर, अधिक प्यास, बार-बार पेशाब और थकावट जैसे लक्षण हो सकते हैं।

उन्होंने बताया कि मां के रक्त में बढ़े ग्लूकोज का बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। यदि मां के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है तो वह गर्भनाल से गुजर कर बच्चे के रक्त में पहुंच जाता है। इस कारण बच्चे का भी ब्लड शुगर बढ़ जाता है। ऐसे में गर्भपात होने का खतरा रहता है या जन्म के बाद बच्चा मानसिक रोगी भी हो सकता है। यदि गर्भवती महिला के ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखा जाए तो इन सब परेशानियों से बचा जा सकता है।

जेस्टेशनल डायबिटीज का कैसे करें उपचार :

* गर्भवती हर दिन कम से कम चार दफा अपना ब्लड शुगर चेक करें। एक बार नाश्ते से पहले और फिर खाने के बाद।

* पेशाब में कीटोन नामक एसिड की नियमित जांच करवाते रहें।

* डॉ. की सलाह के मुताबिक खान-पान का पूरा ख्याल रखें।

* डॉक्टरी परामर्श से नियमित व्यायाम करें।

* वजन को नियंत्रण में रखें।

* अगर आवश्यकता हो तो चिकित्सक की सलाह से इन्सुलिन लें।

डॉ. अर्चना का कहना है कि सही खान-पान, व्यायाम, जीवन शैली में बदलाव, ग्लूकोज स्तर की नियमित जांच, कोलेस्ट्रोल नियंत्रण तथा धूम्रपान छोड़ने पर जेस्टेशनल डायबिटीज को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।

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