अहमदाबाद, 27 अगस्त (आईएएनएस)। गुजरात में गुरुवार को कहीं से हिंसा की किसी बड़ी घटना की खबर नहीं है लेकिन तनाव बरकरार है। बुधवार को बड़े पैमाने पर हिंसा का गवाह बना राज्य गुरुवार को पटरी पर लौटता दिखा।
तनाव के मद्देनजर राज्य के तीन शहरों सूरत, राजकोट और मेहसाणा में गुरुवार को सेना तैनात कर दी गई।
सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य के पटेल समुदाय द्वारा ओबीसी दर्जे और शिक्षा एवं रोजगार में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन किए जाने के बाद व्याप्त तनाव के मद्देनजर सेना की तैनाती की गई है।
बुधवार को हुई हिंसा में 9 लोग मारे गए थे। 100 से अधिक लोग जख्मी हुए थे। सैकड़ों वाहन फूंक दिए गए थे। लूटपाट की घटनाएं भी हुई थीं।
राज्य में गुरुवार को तनावपूर्ण शांति रही। प्रमुख शहरों में सड़कों पर लगभग सन्नाटा पसरा रहा। स्कूल, कॉलेज बंद रहे। दुकानें भी बंद रहीं लेकिन सरकारी दफ्तरों और बैंकों में रोजाना की तरह कामकाज हुआ।
अहमदाबाद, सूरत, राजकोट जैसे कई शहरों में गुरुवार को कर्फ्यू में ढील दी गई जिसमें लोगों ने जरूरत के सामान खरीदे। अधिकारियों का कहना है कि रात का कर्फ्यू अभी जारी रह सकता है।
टैक्सी और ऑटोरिक्शा सड़क पर दिखे लेकिन बसें बहुत कम चलीं। बुधवार की हिंसा में सबसे ज्यादा नुकसान बसों को पहुंचाया गया था।
रेलगाड़ियां भी तय समय से देर से चल रही हैं क्योंकि रेल पटरियों को भी नुकसान पहुंचा है।
हिंसा का मुद्दा राज्य विधानसभा में भी उठा। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा किया जिस वजह से कार्यवाही दो बार रोकनी पड़ी।
विधानसभा अध्यक्ष ने हंगामे के बीच कांग्रेस के 30 विधायकों को सदन से दिन भर के लिए निलंबित कर दिया था। इसके बाद सदन में और हंगामा हुआ।
उधर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को गुजरात में आरक्षण मुद्दे को लेकर हुई हिसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा।
उन्होंने ट्वीट किया, “मोदी की विचारधारा गुस्से की है। यही गुजरात में हो रहा है। गुस्से से सिवाय मोदीजी के किसी और को लाभ नहीं होता।”
राहुल इस वक्त जम्मू एवं कश्मीर के दौरे पर हैं। उन्होंने गुरुवार को कश्मीर घाटी के पुलवामा जिले के पंपोर शहर में कहा, “नरेंद्र मोदी विभाजनकारी राजनीति में यकीन रखते हैं। वह बंटवारा कर शासन करने में यकीन रखते हैं। वहीं, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) देश को एकजुट करने में विश्वास रखता है।”
इस बीच, जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुजरात में हुई हिंसा के बाद विकास के ‘गुजरात मॉडल’ पर सवाल उठाए हैं।
उमर ने एक ट्वीट में लिखा, “यदि समावेशी विकास का गुजरात मॉडल इतना ही सफल है, तो आखिर इस प्रगति में हिस्सेदारी मांग रहे इतने सारे प्रदर्शनकारियों की मौत क्यों हुई?”