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गुरु घासीदास जयंती

ghasidasji_20141216_15218_16_12_2014‘सतनाम पंथ’ के संस्थापक गुरु घासीदास को माना जाता है। उनकी जयंती 18 दिसंबर को हर वर्ष मनाई जाती है। गुरु घासीदास का जन्म 1756 ई. में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नजदीक गिरौद नामक ग्राम में हुआ था।

इनकी माता का नाम ‘अमरौतिन’ तथा पिता का नाम ‘मंहगूदास’ था। युवावस्था में घासीदास का विवाह सिरपुर की ‘सफुरा’ से हुआ। भंडापुरी आकर घासीदास सतनाम का उपदेश निरंतर देते थे।

घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफ़ी प्रभाव पड़ा।

इस प्रभाव के चलते भारी संख्या में हज़ारों-लाखों लोग उनके अनुयायी हो गए। इस प्रकार छत्तीसगढ़ में ‘सतनाम पंथ’ की स्थापना हुई। इस संप्रदाय के लोग गुरु घासीदास को अवतारी पुरुष के रूप में मानते हैं।

इन्होंने सात वचन से सतनाम पंथ की स्थापना की, जिसमें सतनाम पर विश्वास, मूर्ति पूजा का निषेध, वर्ण भेद से परे, हिंसा का विरोध, व्यसन से मुक्ति, परस्त्री गमन की वर्जना और दोपहर में खेत न जोतना हैं।

गुरु घासीदास द्वारा दिए गये उपदेशों से समाज के असहाय लोगों में आत्मविश्वास, व्यक्तित्व की पहचान और अन्याय से जूझने की शक्ति का संचार हुआ।

सामाजिक तथा आध्यात्मिक जागरण की आधारशिला स्थापित करने में ये सफल हुए और छत्तीसगढ़ में इनके द्वारा प्रवर्तित सतनाम पंथ के आज भी लाखों अनुयायी हैं।

संत गुरु घासीदास ने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं का बचपन से ही विरोध किया। उन्होंने समाज में व्याप्त छुआछूत की भावना के विरुद्ध ‘मनखे-मनखे एक समान’ का संदेश दिया। इस दिन छत्तीसगढ़ के कई गांवों में मेले का आयोजन होता है।

गुरु घासीदास का जीवन-दर्शन युगों तक मानवता का संदेश देता रहेगा। ये आधुनिक युग के सशक्त क्रान्तिदर्शी गुरु थे। इनका व्यक्तित्व ऐसा प्रकाश स्तंभ है, जिसमें सत्य, अहिंसा, करुणा तथा जीवन का ध्येय उदात्त रुप से प्रकट है।

गुरु घासीदास जयंती Reviewed by on . 'सतनाम पंथ' के संस्थापक गुरु घासीदास को माना जाता है। उनकी जयंती 18 दिसंबर को हर वर्ष मनाई जाती है। गुरु घासीदास का जन्म 1756 ई. में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर 'सतनाम पंथ' के संस्थापक गुरु घासीदास को माना जाता है। उनकी जयंती 18 दिसंबर को हर वर्ष मनाई जाती है। गुरु घासीदास का जन्म 1756 ई. में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर Rating:
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