अलप्पुझा, 19 जनवरी (आईएएनएस)। केरल में 60 साल के गैरपेशेवर वैज्ञानिक एम.सी.डेविड ने भवनों, विशेषकर बहुमंजिला भवनों में आपात निकास की एक खास तरकीब ढूंढ़ निकाली है। मुंबई स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) का एक दल भी इससे काफी प्रभावित हुआ है।
बहुमंजिला भवनों में काम आने वाली यह अनूठी बचाव प्रणाली एक सामान्य गोलाकार फिसलन वाली ढलान की मदद से काम करती है। बीएआरसी इसे अपने भवन में लगाने वाला पहला ग्राहक बनने जा रहा है।
बीएआरसी की चार सदस्यीय टीम ने बीते हफ्ते डेविड के साथ एक पूरा दिन बिताया था और पता लगाया था कि उन्होंने कैसी बचाव प्रणाली विकसित की है।
इस टीम के मुखिया एम.के.स्टैनली ने कहा कि वह डेविड की इस नई बचाव ढलान से काफी प्रभावित हुए हैं।
डेविड का कहना है कि घुमावदार-गोलाकार यह फिसलने वाली ढलान अग्निरोधी फाइबर ग्लास या कंक्रीट से बनाई जा सकती है। यह आपात स्थिति में बहुमंजिला भवनों में फंसे लोगों को तेजी से सुरक्षित बाहर निकालने में मददगार साबित होगी। उन्होंने कहा कि इस ढलान को भवन की सीढ़ी के बगल में बनाया जा सकता है।
डेविड ने कहा कि अगर भवन में आग लग जाए तो निवासियों को इस ढलान में बैठने की जरूरत भर होगी। वे इससे सीढ़ी के मुकाबले चार गुना तेजी से नीचे पहुंचेंगे।
स्टेनली ने कहा, “हमने इस प्रणाली को अपने बहुमंजिला भवनों में लगाने की सिफारिश की है। हमने इस नई चीज के बारे में समाचार पत्रों में पढ़ा था। मेरे वरिष्ठ अधिकारियों ने मुझसे कहा था कि मैं इसके बारे में पता लगाऊं।”