(खुसर-फुसर-भोपाल)- सत्ता में शार्ट-कट से घुसने वाले और अपने शुभचिंतकों के पैर या गद्दी उल्टा देने की कोशिश करने वाले एक समय कहीं के नहीं रहते.कहा गया है जो एक का नहीं वो किसी का नहीं ऐसे लोग तो उन्ही की जय-जय करते हैं जिनसे उन्हे अपना फायदा होने की उम्मीद हो जरा भी असंतोष हुआ और उन्होने तूफान खड़ा किया.
प्रदेश भाजपा कार्यालय के एक स्वयम्भू नेताजी ने जब देखा की उन्हें गद्दी प्राप्त होने में अड़चनें आ रही हैं तब उन्होनें पहले तो अपने खैरख्वाह के रास्ते को खोदना चाहा लेकिन खैरख्वाह मजबूत थे और वे संभले रहे.स्वयम्भू नेताजी ने उनसे बड़े नेताजी का दामन थामा लेकिन वहां से भी कुछ उम्मीद ना देखते हुए अपनी असलियत पर आ गये और अंदर की खबर अखबारों में लिखवा दी.यानि घर का भेदी लंका ढाये.
हुआ यह की ये स्वयम्भू नेताजी एक अखबार के दफ्तर पहुंचे और प्रवक्ताओं के खिलाफ खबर की स्क्रिप्ट खुद लिखी इसमें इन्होने एक वर्तमान सांसद को भी लपेटा,यह खबर छपी लेकिन असलियत संगठन के सामने आ गयी अब तो इन नेताजी के लिये और भी मुसीबत.नेताजी की करतूतें संगठन के मुखिया तक उन्हीं लोगों ने पहुँचाई जिन्होने इनसे ये खबर लिखवाई थी.अब तो इनके अच्छे दिनो के लिये प्रार्थना के सिवा और कोई रास्ता नहीं है.