न्यूयार्क, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। एक नए अध्ययन में पता चला है कि किसी कंपनी में नियुक्त किए गए बाहरी मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शोध और विकास पर अधिक खर्च करते हैं, जबकि कंपनी के अंदर से चुने गए सीईओ बड़े और रणनीतिक अधिग्रहण पर अधिक ध्यान देते हैं।
छह दशकों तक किए गए अध्ययन के मुताबिक 78 फीसदी मामलों में सीईओ की नियुक्ति कंपनी के अंदर से ही हुई और बाहरी सीईओ ने ऐसी वित्तीय रणनीतियां अपनाईं, जो अलग-अलग जरूरत वाली कंपनियों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त थी।
मिसौरी विश्वविद्यालय के ट्रलेस्क कॉलेज ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर स्टीफन फेरिस ने कहा, “कंपनी की माली हालत यदि खराब है और वह बाहरी सीईओ नियुक्त करती है, तो इसका मतलब यह हुआ कि बोर्ड समस्या को निपटाने के प्रति गंभीर है।”
बाहरी सीईओ नियुक्ति करने वाली कंपनी में भरोसे के साथ निवेश थोड़ा बढ़ाया जा सकता है।
फेरिस ने कहा, “आंतरिक सीईओ नियुक्त किए जाने से यह संकेत मिलता है कि कंपनी का प्रदर्शन स्थिर है और पहले से जारी सफल रणनीति को ही आगे बढ़ाना चाहती है।”
फेरिस और उनके सहयोगियों ने 1951-2010 के बीच स्टैंडर्ड एंड पुअर्स 500 इंडेक्स की सभी कंपनियों में 2,524 सीईओ की नियुक्ति और उसके परिणाम का अध्ययन किया।
अध्ययन के मुताबिक, बाहरी सीईओ शोध और विकास पर अधिक खर्च करते हैं। फेरी के मुताबिक यह नवाचार की प्रतिबद्धता का परिचायक है।
कहा गया है कि आंतरिक रूप से बहाल किए गए सीईओ बाहरी सीईओ के मुकाबले हालांकि कम अधिग्रहण और विलय करते हैं, लेकिन जो भी अधिग्रहण वे करते हैं, उसका आकार बड़ा होता है और ये सौदा वे नकदी में न करके शेयरों की अदला-बदली के जरिए करते हैं।
फेरी ने कहा, “यदि कंपनी अच्छा प्रदर्शन कर रही है, तो आंतरिक प्रक्रिया ऐसे उम्मीदवारों की पहचान और उनका विकास करने के लिए काफी है, जो आखिरकार कंपनी को नेतृत्व देंगे और कंपनी का मूल्य बढ़ाएंगे।”