छत्तीसगढ़ में बीते 11 अप्रैल से नक्सलियों का कहर जारी है। सुकमा जिले में शनिवार को नक्सलियों ने विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के सात जवानों को मार डाला था, जबकि इसके एक दिन बाद कांकेर में 11 वाहनों को आग के हवाले कर दिया था।
सशस्त्र नक्सलियों ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक शिविर पर हमला कर दिया, जिसमें एक जवान शहीद हो गया। इसके कुछ ही घंटे बाद दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों द्वारा लगाए गए बारूदी सुरंग के हमले में चार पुलिसकर्मी शहीद हो गए।
पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि कुछ नक्सलियों ने सोमवार सुबह कांकेर जिले के पाखनजोर इलाके के छोटबतिया वन क्षेत्र स्थित बीएसएफ के शिविर में घुसने की कोशिश की।
राज्य में नक्सल विरोधी अभियान के प्रमुख आर.के.विज ने आईएएनएस को बताया, “जब नक्सलियों ने बीएसएफ के शिविर में घुसने की कोशिश की, तब सतर्क जवानों ने नक्सलियों पर गोलीबारी की।”
उन्होंने बताया कि हमले में जवान आर.पी. सोलंकी शहीद हो गए।
विज ने बताया कि हमले के बाद चलाए गए अभियान में शिविर के नजदीक एक नक्सली का शव भी पाया गया और 20 किलोग्राम भार वाले तीन देसी बम मिले हैं।
इसके कुछ ही घंटे बाद दंतेवाड़ा में एक भीषण विस्फोट में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (सीएएफ) के चार जवान शहीह हो गए, जबकि सात अन्य घायल हो गए।
यह हमला दंतेवाड़ा जिले में सीएएफ के कोलनार शिविर के निकट हुआ, जो प्रदेश की राजधानी रायपुर से 400 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है।
शहीद होने वालों में एंटी लैंड माइन व्हीकल के ड्राइवर शिवा कश्यप, सहायक आरक्षक अलाउद्दीन, लल्लूराम प्रधान और जयप्रकाश पासवान शामिल हैं।
दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक कमलोचन कश्यप ने घटनास्थल पर मीडिया को बताया कि घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
उन्होंने कहा, “यह शक्तिशाली विस्फोट था। अनुमान है कि इसमें 50 किलो के आईईडी (इप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) का इस्तेमाल किया गया। विस्फोट से एंटी लैंडमाइन वाहन क्षतिग्रस्त हो गया और चार जवान शहीद हो गए।”
पुलिस सूत्रों के अनुसार, किरंदुल से पालनार मार्ग पर पुलिस का संयुक्त बल गश्त के लिए रवाना किया गया था। इसके साथ एंटी लैंड माइंस व्हीकल भी रवाना की गई थी। ग्राम चोलनार के समीप जंगल में घात लगाए नक्सलियों ने व्हीकल पर निशाना साधते हुए बारूदी सुरंग विस्फोट कर दिया।
धमाके से वाहन क्षतिग्रस्त हो गया और उसमें सवार सभी 11 जवान जख्मी हो गए। जिनमें से चार ने दम तोड़ दिया।
बताया जाता है कि धमाके के तुरंत बाद ही नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में फौरन मोर्चा संभालते हुए पुलिस जवानों ने भी फायरिंग की। लगभग एक घंटे तक दोनों ओर से हुयी फायरिंग के बाद अंतत: नक्सलियों के पैर उखड़ गए और वे घने जंगल व पहाड़ियों की आड़ लेकर भाग खड़े हुए।
वर्ष 1980 से बस्तर को नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। इसे देखते हुए पुलिस अर्धसैनिक बलों ने इन इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी है।