रायपुर, 5 नवंबर –छत्तीसगढ़ में इन दिनों सभी सब्जियों के साथ सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला आलू फिर से उपभोक्ताओं का दम निकालने लगा है। करीब दो महीने बाद भी आलू की कीमत में किसी प्रकार का सुधार नहीं हो रहा है। थोक में आलू अभी भी 2,400 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि खुदरा में 35-40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। थोक व्यापारी संघ के अध्यक्ष जितेंद्र दोशी ने बताया कि आलू की कीमत में पिछले सप्ताह के मुकाबले मंगलवार को फिर से तेजी आ गई। थोक बाजार में इसमें 150 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा हो गया और कीमत 2,450 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इसकी कीमत में और तेजी आ सकती है।
रायपुर के कारोबारी अशोक दीवान का कहना है कि अभी तक बाजार में आलू की स्थिति सामान्य नहीं हुई है। आवक में अभी भी काफी परेशानी हो रही है तथा रोजाना मुश्किल से पांच से छह गाड़ियां ही आ पा रही हैं।
कारोबारियों का कहना है कि अभी भी पश्चिम बंगाल से आलू आने में बंदिश नहीं हटी है। कुछ लोग केवल गलत तरीकों से माल ला पा रहे हैं और वह भी केवल पांच से छह गाड़ियां। इस वजह से जहां भाड़ा दो रुपये प्रति किलोमीटर लगता था, वहीं अब सीधे 6 रुपये प्रति किलोमीटर हो गया है। ऐसे वजह से आलू की कीमत में तो बढ़ोत्तरी होगी ही।
कारोबारी एक दूसरा कारण इस साल आलू उत्पादन में रही थोड़ी कमी को भी मान रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बंगाल आदि राज्यों में पैदावार इस बार कम हुई है।
बाजार विशेषज्ञ डॉ हनुमंत यादव का कहना है कि भले ही सरकार ने आलू के बढ़ते भाव में तेजी को देखते हुए विदेशों से आलू मंगवाने का फैसला किया हो, लेकिन इससे कोई विशेष फर्क पड़ने की संभावना नहीं है। इस फैसले में थोड़ी सी देरी हो गई है। इसके साथ ही कारोबारियों पर लगाए गए एमईपी का भी कोई परिणाम सामने नहीं आ रहा है।
बहरहाल, सूबे के उपभोक्ताओं का दम अब आलू की बढ़ती कीमतों ने निकालना शुरू कर दिया है। ज्यादातर जिलों से आ रही जानकारियां बताती हैं कि उपभोक्ता काफी परेशान हैं। साथ ही, इसी माह नगरीय निकायों के भी चुनाव संभावित हैं, इसलिए सत्ताधारी पार्टी भी चिंतित नजर आ रही है।