विशेषज्ञों द्वारा जीआईएस, जीपीएस की सहायता से पटवारी एवं जमीन मालिक के सत्यापन के पश्चात भू-अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण किया जाएगा। भू-रिकार्ड का कम्प्यूटरीकरण होने से जमीन के रिकार्ड रखने में पारदर्शिता आएगी। भविष्य में कम्प्यूटर पर क्लिक करते ही सड़क, नहर आदि निर्माण के लिए भूमि के वास्तविकता की जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। आने वाले समय में जमीन के मालिक भी घर बैठे अपनी जमीन की स्थिति देख पाएंगे।
आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर डॉ. कमल जैन एवं उनके दल के सदस्यों द्वारा जिले के सभी राजस्व अधिकारियों, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, पटवारियों को जीआईएस एवं जीपीएस की सहायता से कम्प्यूटरीकरण किए जाने की पद्धति को फील्ड पर बताया गया।
पहले दिन डेमों के रूप में ग्राम ढेंगुरडीह में जिले के सभी राजस्व अधिकारियों, तहसीलदारों, पटवारियों को फील्ड पर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के विषय में बताया गया।
कलेक्टर पी. दयानंद ने भी ग्राम ढेंगरडीह में चल रहे डेमों का अवलोकन किया। उन्होंने जीआईएस पद्धति से इमेज के ऊपर किए जा रहे बाउण्ड्री मार्क की जानकारी ली। आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर डा. कमल जैन ने बताया कि भू-अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण प्रक्रिया में उच्च रेज्यूलेशन सेटेलाईट इमेज का इस्तेमाल कर फील्ड पर इमेज के ऊपर बाउंड्री मार्क किया जाता है।
कार्यस्थल पर ही जमीन के मालिक एवं पटवारी की उपस्थिति में सत्यापित कर लिया जाता है। सत्यापन के पश्चात पटवारी एवं जमीन मालिक की फोटो सिस्टम में दर्ज कर रिकार्ड को सर्वर में दर्ज किया जाता है। दर्ज रिकार्ड को विभाग द्वारा अवलोकन किया जा सकता है।
प्रोफेसर डा. जैन ने जमीन का रिकार्ड अपडेट रहने एवं कम्प्यूटरीकृत होने से शासन के साथ लोगों को भी इसका लाभ मिलने की बात कही। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से जमीन का रिकार्ड रखने में पारदर्शिता तथा सीमांकन आदि के समय आपसी विवाद की स्थिति पर अंकुश लगेगी।