नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने सोमवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन में वैश्विक प्रतिक्रियाओं के प्रति अपने योगदान के लिए भारत पर बराबर नजर रखी जा रही है, जबकि इसके उलट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कहा था कि जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धता को लेकर भारत पर कोई दबाव दबाव नहीं है।
वर्मा ने मोदी के उलट कहा कि जलवायु परिवर्तन में वैश्विक प्रतिक्रियाओं के प्रति अपने योगदान के लिए देश पर बराबर नजर रखी जा रही है।
जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे पर एक द्विपक्षीय कार्यक्रम के दौरान मोदी ने कहा था कि अमेरिका तथा चीन की तरह उत्सर्जन में कटौती के लिए एक शिखर वर्ष की घोषणा करने को लेकर भारत पर कोई दबाव नहीं है।
भारत ग्रीन हाउस गैसों का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है।
वर्मा ने यहां सीआईआई के कार्यक्रम में कहा, “भारत का आकार, आर्थिक विकास अनुमान और महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से मतलब है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में भारत के प्रस्तावित योगदान में विश्व में जबरदस्त रुचि है।”
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह कहना गलत होगा कि विश्व बहुत करीब से देख रहा है कि भारत इस दिशा में क्या करने वाला है।”
पेरिस में दिसंबर 2015 महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन वार्ता से पहले वैश्विक उत्सर्जक अपने इच्छित राष्ट्रीय संकल्पित योगदान (आईएनडीसी) जमा कराएंगे, जहां चीन, अमेरिका, यूरोपीय संघ के बाद भारत का चौथा स्थान है।
स्वच्छ ऊर्जा और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों के लिए उचित कदम उठाने के लिए आईएनडीसी उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाएगा।
वर्मा ने कहा कि अमेरिका केवल रक्षा व व्यापार क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन में भी भारत के सहयोग में विस्तार करेगा।
उन्होंने कहा, “हम भारत के साथ कम से कम कार्बन उत्सर्जन तथा भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा के तरीकों को बढ़ावा देने को लेकर काम कर रहे हैं।”
उन्होंने टिप्पणी की, “हमें उम्मीद है कि हाल में असैन्य परमाणु समझौते में मिली सफलता से लो-कार्बन बेस-लोड परमाणु संयंत्र लगाने में मंजूरी मिलेगी।”