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जलिकट्ट पर सर्वोच्च न्यायालय की रोक (लीड-1)

नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा जारी उस अधिसूचना को मंगलवार को स्थगित कर दिया, जिसमें तमिलनाडु के पारंपरिक खेल जलिकट्ट को अनुमति दी गई थी।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि इस खेल को 21वीं सदी में अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह पशुओं के साथ क्रूरता है।

उल्लेखनीय है कि 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने सांड़ों को काबू करने के इस खेल पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन तमिलनाडु सरकार की अपील पर केंद्र सरकार ने इस खेल को अनुमति देने के लिए पिछले गुरुवार को एक अधिसूचना जारी की थी।

इस अधिसूचना के खिलाफ पशु अधिकार कार्यकर्ता गौरी मौलेखी ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी।

न्यायालय के मंगलवार के फैसले पर मौलेखी ने कहा कि वह केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को निरस्त कराना चाहती थीं, लेकिन न्यायालय ने इस पर स्थगन दिया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया।

जलिकट्ट, तमिलनाडु का एक लोकप्रिय सर्वाधिक प्राचीन खेल है। इसमें सांड़ों का उपयोग होता है, और युवा लोग ताकतवर साड़ों को काबू में करने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया में कई युवकों की मौत हो जाती है या फिर घायल हो जाते हैं।

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे किसी खेल को जायज नहीं ठहराया जा सकता, जिसमें पशुओं के साथ क्रूरता की जाए।

जलिकट्ट पर सर्वोच्च न्यायालय की रोक (लीड-1) Reviewed by on . नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा जारी उस अधिसूचना को मंगलवार को स्थगित कर दिया, जिसमें तमिलनाडु के पारंपरिक खेल जलिकट्ट क नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा जारी उस अधिसूचना को मंगलवार को स्थगित कर दिया, जिसमें तमिलनाडु के पारंपरिक खेल जलिकट्ट क Rating:
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