बांद्राभान(होशंगाबाद), 16 मार्च (आईएएनएस)। नर्मदा नदी के तट पर दो दिवसीय पांचवें नदी महोत्सव की शुरुआत करते हुए शुक्रवार को केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और जानवर ये सभी भगवान के द्वारा दी गई अमूल्य भेंट हैं और इनका संवर्धन करने पर सम्पूर्ण सृष्टि का विकास होगा और इसके लिए एकात्म दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
नदी महोत्सव को शुरू करने वाले दिवंगत अनिल माधव दबे को भी गडकरी ने याद किया।
उन्होंने कहा, “देश में जल की कमी नहीं है बल्कि जल के नियोजन की कमी है क्योंकि देश की नदियों का बहुत सा पानी समुद्र में चला जाता है। कई जगह पानी की अधिकता है, वहां बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है और कई जगह पानी कम है जहां सूखे की समस्या सामने आती है। लिहाजा पानी के नियोजन और संवर्धन के क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण लेकर और अधिक कार्य करना होगा ताकि संतुलन बन सके।”
उन्होंने आगे कहा, “नदियों के जल संवर्धन से जुड़े बहुत से काम देश में हो रहे हैं जिससे सभी को लाभ मिल रहा है, सभी को वृक्षारोपण सहित प्रकृति के संवर्धन से जुड़े अन्य कार्यो को अधिकता से करने की आवश्यकता है, ताकि जल का संतुलन बना रहे।”
इसके पहले केन्द्रीय मंत्री गडकरी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनिल माधव दवे द्वारा लिखित पुस्तक नर्मदा परिक्रमा मार्ग का विमोचन किया। सतगुरु जग्गी वासुदेव द्वारा नदी महोत्सव के आयोजन पर दिए गए संदेश का प्रसारण किया गया।
नदी-महोत्सव कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने कहा कि इस पंचम नदी-महोत्सव के केंद्र बिंदु का विषय सहायक नदियां हैं। गांव-गांव में फैली जलधाराओं की एक दुनिया है और उसे समझने की आवश्यकता है।
पश्चिमी और भारतीय चिंतन में अंतर समझाते हुए सोनी ने कहा कि हमे अपने मौलिक चिंतन को समझकर उसमे परिवर्तन करना होगा। पिछले 150 सालों में विज्ञान ने बहुत सी तकनीक और मशीनें बनाई हैं किन्तु उनमें से कुछ तकनीकों से समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। भारतीय चिंतन को समझें, जिसमें यह बतलाया गया है कि पृथ्वी एकात्म है और मानव जीवन पंचतत्व के साथ जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि, हवा, पानी, प्राणी एवं वनस्पति की एक दुनिया हैं। हमने प्राणी एवं वनस्पति की दुनिया को पेंटिंग में सीमित कर दिया है। जीवन का अस्तित्व रहे कैसे इस पर हमें चिंतन करना होगा। राजस्थान के जैसलमेर में 700 वर्ष पूर्व ही तालाब के पानी के संरक्षण के लिए कार्य शुरू कर दिया गया था। हम तकनीकी का उपयोग कर नदियों को पुनर्जीवन दे सकते हैं। नदी जब एक स्रोत से दूसरे स्रोत तक बहने लगे तब नदी का जीवन है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि, नदी संरक्षण के लिए नर्मदा सेवा यात्रा निकाली गई थी। यह यात्रा पांच महीने पांच दिन चली और इस यात्रा से लोगों में नदी संरक्षण के प्रति एक चेतना का भाव जागृत हुआ।