केजीएमयू के कुलपति प्रो. रविकांत का कहना है कि रिसर्च टीम में जहरीली शराब के मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर भी शामिल होंगे। इसके अलावा रिसर्च सेल के डॉक्टर व वैज्ञानिक भाग लेंगे।
एक सप्ताह पहले मलिहाबाद व उन्नाव में हुए जहरीली शराब कांड ने लगभग 289 परिवारों को झकझोर कर रख दिया है। शराब कांड में लगभग 51 मौतों के अलावा 22 से ज्यादा लोगों की आंखों की रोशनी पर प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा किडनी पर प्रभाव के कारण डायलिसिस भी कराई गई है। जहरीली शराब से पीड़ित सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में किया गया।
एक विशेषज्ञ चिकित्सक ने कहा कि लक्षणों के आधार पर मरीजों का इलाज आपदा प्रबंधन वार्ड में शुरू किया गया। शराब में मिथनॉल केमिकल मिली होने पर इलाज में लाइन ऑफ ट्रीटमेंट बदल गया। इस कारण मरीजों की हालत में सुधार भी हुआ।
आपदा प्रबंधन वार्ड व इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के यूनिट प्रभारी डॉ.अविनाश ने बताया कि इस केमिकल के रिएक्शन से शरीर में एसिड तेजी से बनने लगता है। इस कारण गुर्दा, आंखों तथा दिल को क्षति पहुंचती है।
केजीएमयू के कुलपति ने बताया कि यह घटना काफी हृदय विदारक थी। इससे कई परिवार बर्बाद हो गए। इस केमिकल से शरीर के अंगों पर होने वाले रिएक्शन को कैसे कम किया जाए, इस पर शोध की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा केजीएमयू मरीजों के इलाज का फालोअप भी करता रहेगा। शोध कार्य में केजीएमयू की रिसर्च सेल व एडंवास रिसर्च सेल के डॉक्टर व विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।