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जावड़ेकर ने ऐतिहासिक जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर किए

संयुक्त राष्ट्र, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। बढ़ते वैश्विक तापमान के खिलाफ संघर्ष करने के भारत के संकल्प के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने इसे भूमंडल को बचाने के लिए वैश्विक होड़ में ‘सामूहिक बुद्धिमानी का विजयोल्लास’ करार दिया।

संयुक्त राष्ट्र, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। बढ़ते वैश्विक तापमान के खिलाफ संघर्ष करने के भारत के संकल्प के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने इसे भूमंडल को बचाने के लिए वैश्विक होड़ में ‘सामूहिक बुद्धिमानी का विजयोल्लास’ करार दिया।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने कहा कि इस करार का सबसे महत्वपूर्ण तत्व यह है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को औद्योगिक क्रांति से पहले के युग की तुलना में दो डिग्री सेंटीग्रेड से कम पर बनाए रखने के लिए प्रयास किया जाए। उन्होंने इसे ‘भविष्य के साथ करार’ कहा।

दुनिया भर के 175 देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, राजकुमारों, मंत्रियों और राजदूतों ने इस करार पर हस्ताक्षर किए। इस तरह के किसी करार पर एक साथ हस्ताक्षर करने वाले देशों की यह सबसे बड़ी संख्या है। बान ने घोषणा की, “जब मैं क्षितिज पर देखता हूं तो कभी पहले की तुलना में ज्यादा नया और बेहतर दुनिया की रूपरेखा पाता हूं।”

हस्ताक्षर समारोह के अवसर पर जावड़ेकर ने जलवायु के साथ न्याय के लिए दीर्घकालिक जीवनशैली और दीर्घकालिक उपभोग का आग्रह किया। ये दोनों चीजें करार की प्रस्तावना में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हमें पेरिस करार को लागू करने के लिए हर हाल में इन दो विशेषताओं पर आधारित कार्ययोजना बनानी चाहिए।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “यदि हम लोगों ने इसी तरह की नहीं टिकने वाली उपभोग शैली को जारी रखा तो हमें तीन पृथ्वी की जरूरत होगी। लेकिन हमारे पास तीन नहीं एक ही पृथ्वी है, जिसे लोग धरती माता कहते हैं। इसलिए हम लोगों को अपनी एकमात्र धरती माता की देखभाल करनी है।”

इससे पहले एक साक्षात्कार में उन्होंने टिकाऊ जीवन शैली और जलवायु के साथ न्याय को इस समझौते की प्रस्तावना में जगह दिलाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोरदार वकालत को दिया।

जावड़ेकर ने भारत के कार्बन उत्सर्जन की अधिकता को प्रति जीडीपी इकाई 35 फीसदी तक कम करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। इसके लिए उन्होंने अकार्बनिक ईंधन से 40 फीसदी बिजली उत्पादन क्षमता विकसित करने और बड़े पैमाने पर वन लगाने के प्रयास की बात दृढ़तापूर्वक दोहराई। वन 2.5 अरब टन कार्बन डाईआक्साइड वायुमंडल से सोखेगा।

जावड़ेकर ने विकसित देशों को उनकी जिम्मेदारियां याद दिलाईं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 से पहले की अवधि के लिए विकसित देश निश्चित रूप से कार्बन उत्सर्जन कम करने का अपना लक्ष्य बढ़ाएं। इस करार पर आगे बढ़ने के लिए उसकी जरूरत है। पांच साल तक इस दिशा में कोई कार्य न हो और छुट्टी मनाई जाए ऐसा नहीं हो सकता।

इस सम्मेलन में महिंद्रा समूह के आनंद महिंद्रा को दुनिया के निजी क्षेत्र की ओर से बोलने के लिए चुना गया था। यह भारत के निजी क्षेत्र की जलवायु परिवर्तन में कमी लाने के लिए निभाई जा रही सक्रिय भूमिका को मान्यता देना भी है।

महिंद्रा ने कहा कि यह करार खुद विश्वास की कमी से मुक्ति दिलाता है।

इस अवसर पर 197 देशों के बच्चे उपस्थित थे। इन बच्चों के टी-शर्ट पर लिखा था-“आपका वादा हमारा भविष्य”। अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी जब करार पर हस्ताक्षर कर रहे थे तो अपनी दो साल की पोती को भी गोद में लिए हुए थे।

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