न्यूयॉर्क, 8 मई (आईएएनएस)। शोधकर्ताओं ने पाया है कि किस तरह से गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस का संक्रमण गर्भ में पल रहे शिशु के दिमाग के विकास को रोक सकता है। इसकी वजह से पैदा होने वाला बच्चा असामान्य रूप से छोटे सिर वाला और कम विकसित दिमाग वाला होता है। इस स्थिति को चिकित्सा जगत की भाषा में माइक्रोसेफली के नाम से जाना जाता है।
गर्भ के शुरू के तीन माह के मानव के दिमाग की मूल कोशिका यानी स्टेम सेल आधारित मॉडल का 3डी इस्तेमाल करके टीम ने पता लगाया कि जीका टीएलआर3 को सक्रिय कर देता है। टीएलआर3 मानव की कोशिकाओं के ऐसे कण(मोलेक्यूल) होते हैं, जो सामान्यतया वायरस (विषाणुओं) के आक्रमण से बचाव करते हैं।
इसके परिणाम स्वरूप अत्यधिक सक्रिय टीएलआर3 उन जीन को रोक देता है, जिनसे स्टेम सेल्स को मस्तिष्क कोशिकाओं को विशेषज्ञता प्राप्त होती है और उन जीन को सक्रिय कर देता है, जिससे कोशिकाएं तेजी से मरने लगती हैं। जब शोधकर्ताओं ने टीएलआर3 को रोक दिया तो दिमाग की कोशिकाओं का नुकसान होना कम हो गया।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में बाल चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर तारिक राणा ने कहा, “हम सभी के पास स्वाभाविक रूप से प्रतिरक्षी प्रणाली होती है, जो विषाणुओं से लड़ती है और हमारी रक्षा करती है। लेकिन यहां यह वायरस इसी तरह का रक्षा तंत्र हमारे ही खिलाफ बना लेता है।”
टीएलआर3 को सक्रिय करके जीका वायरस उन जीन को रोक देता है, जो स्टेम सेल्स को दिमाग के विभिन्न हिस्से को विकसित करने के लिए कहते हैं।
यह अध्ययन रपट सेल स्टेम सेल नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन से यह पता चलता है कि दिमाग की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए रोक लगाने की यह व्यवस्था जन्म से पूर्व जीका वायरस के संक्रमण के प्रभाव को कम कर देता है।
राणा ने कहा, “अच्छी खबर यह है कि हम लोगों के पास टीएलआर3 को रोकने का साधन हैं, जो ऐसा होने से रोक सकता है।”
अभी तक यह नया शोध केवल मानव और चूहे की प्रयोगशाला में तैयार कोशिकाओं पर किया गया है।
इसके अलावा, इस अध्ययन में जीका वायरस(एमआर 766) का इस्तेमाल युगांडा में जो पैदा हुआ था उसका किया गया, जबकि लातिन अमेरिका में अभी जीका वायरस फैला है। वह एशिया में पैदा हुए वायरस से थोड़ा अलग तरह का है।
राणा का कहना है, “हमने जन्म से पहले के शुरुआती समय के मानव मस्तिष्क के 3डी मॉडल का इस्तेमाल किया, जिसके वायरस विकसित हो रहे मानव भ्रूणों में छोटा सिर और कम विकसित दिमाग की विकृति का कारण बना। लेकिन हमारा अनुमान है कि अन्य शोधकर्ता भी संक्रमण के अन्य पहलुओं एवं संभावित इलाज के परीक्षण के लिए इसी मापनीय संतान के रूप में जन्म देने योग्य प्रणाली का इस्तेमाल करेंगे।”