नई दिल्ली, 2 मार्च (आईएएनएस)। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तीसरी तिमाही की वृद्धि दर पर नोटबंदी के मामूली प्रभाव को दर्शाने वाले आंकड़ों पर हुए विवाद के बारे में मुख्य सांख्यिकीविद टी.सी.ए. अनंत का कहना है कि जीडीपी आंकड़े सांख्यिकीय मजबूती पर आधारित है न कि निजी उम्मीदों पर।
अनंत ने बीटीवीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “आप बातचीत के आधार पर उम्मीदें बनाते हैं। मुझे सूत्रों और एजेंसियों से मिले आंकड़ों पर निर्भर रहना पड़ता है। निजी उम्मीदों, अवलोकनों से ज्यादा सांख्यिकीय मजबूती नहीं मिलती।”
उन्होंने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों को लेकर बड़ी संख्या में अविश्वास के स्वर उठे हैं, लेकिन तीसरी तिमाही के कार्पोरेट नतीजे भी तो सामने आए हैं।
नवीनतम आंकड़ों में जीडीपी की वृद्धि दर 7 फीसदी होने का अनुमान लगाया गया है, जो दिखाता है कि इस पर नोटबंदी का बहुत मामूली असर पड़ा है।
वहीं, वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जोकि वित्त वर्ष 2015-16 के 7.9 फीसदी के आंकड़े से काफी कम है।