लंदन, 28 मार्च (आईएएनएस)। वह समय दूर नहीं, जब जीवाणुओं के माध्यम से प्राकृतिक बैटरी का निर्माण होने लगेगा, क्योंकि जीवाणु सूक्ष्म चुंबकीय कणों का प्रभावी रूप से इस्तेमाल कर एक प्राकृतिक बैटरी का निर्माण कर सकता है। एक नए शोध में यह बात सामने आई है।
जीवाणु मैग्नेटाइट में ऑक्सीकरण/अवकरण प्रक्रिया को अंजाम देने में सक्षम हैं।
यह महत्वपूर्ण खोज पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने तथा अन्य बायोइंजीनियरिंग प्रक्रिया में मदद करेगा।
इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। मैग्नेटाइट रेडॉक्स-सक्रिय (इलेक्ट्रॉन के लेन-देन में सक्षम) समझा जाता है, जो उन संभावनाओं के द्वार खोलता है, जिसके मुताबिक जीवाणु उस माहौल में जीने में सक्षम होगा, जहां मैग्नेटाइट की तुलना में अन्य यौगिक कम मात्रा में पाए जाते हैं।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ तूबिनजेन, यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर, तथा पेसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं ने पानी में रहने वाले बैंगनी बैक्टीरिया को मिट्टी तथा मैग्नेटाइट के साथ रखा और उन्हें मिलने वाले प्रकाश का नियंत्रण किया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रकाश की स्थिति में बैक्टीरिया (आयरन ऑक्सीडाइजिंग) मैग्नेटाइट से इलेक्ट्रॉन निकाल लेते हैं, जिससे वह (मैग्नेटाइट) डिस्चार्ज हो जाता है।
प्रकाश न होने की स्थिति में बैक्टीरिया (आयरन रिड्यूसिंग) वापस इलेक्ट्रॉन को मैग्नेटाइट में पहुंचा देते हैं, जिससे वह रिचार्ज होता है। यह प्रक्रिया चलती रहती है।
ऑक्सीकरण/अवकरण की यह प्रक्रिया अनवरत चलती रहती है। इसका मतलब यह है कि बैटरी का इस्तेमाल दिन-रात चक्र के दौरान होता रहता है।