नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। अगर हमारी युवा पीढ़ी समाज के सरोकारों के लिए काम करने में जुट जाए, तो समाज में व्याप्त समस्याओं को दूर करने की चुनौती को जरूर पूरा किया जा सकता है। ऐसे ही जज्बे से जुड़ी हैं भारत की आयुषी बनर्जी।
नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। अगर हमारी युवा पीढ़ी समाज के सरोकारों के लिए काम करने में जुट जाए, तो समाज में व्याप्त समस्याओं को दूर करने की चुनौती को जरूर पूरा किया जा सकता है। ऐसे ही जज्बे से जुड़ी हैं भारत की आयुषी बनर्जी।
युवाओं के लिए विशिष्ट लर्निग प्रोग्राम तैयार करने वाले ‘द ब्लू रिबन मूवमेंट’ की सदस्य आयुषी बनर्जी तुर्की में 5 और 6 अक्टूबर को आयोजित होने वाले जी (गर्ल्स) 20 सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रही हैं। आयुषी भारत की युवतियों में सक्षमता, जागरूकता और नेतृत्व गुणों का संचार करने के मिशन कार्यक्रम ‘अवंती यंग वुमेन लीडरशिप प्रोग्राम’ की प्रमुख और एक सक्रिय सदस्य हैं।
अवंती यंग वुमेन लीडरशिप प्रोग्राम का लक्ष्य स्कूल की युवा लड़कियों को सामाजिक मुद्दों में भागीदार बनाकर उनमें नेतृत्व क्षमता का विकास करना है, ताकि भविष्य में वे न केवल खुद उन्नत हों, बल्कि साथ ही उनमें समाज को साथ लेकर चलने और उसमें व्याप्त समस्याओं को अपने बूते पर सुलझाने की समझ और हिम्मत भी पैदा हो।
‘अवंती यंग वुमेन लीडरशिप प्रोग्राम’ का आधार ‘सर्विस लर्निग मॉडल’ है, जिसमें कक्षा में अध्यापन के साथ ही समाजिक सरोकारों को समाहित किया गया है। इसका खास मकसद लड़कियों में समीक्षात्मक चिंतन और समस्याओं को सुलझाने का गुण विकसित करना है, जिससे उनमें समाज की समस्याओं के बारे में सजगता पैदा होती है।
इसके तहत स्कूलों की आठवीं कक्षा की छात्राओं को समाज के सरोकारों से जोड़ा जाता है। पांच घंटे के ओपनिंग कार्यक्रम में खेल और वीडियो के माध्यम से लड़कियों में नेतृत्व क्षमता के बीज बोने के प्रयास किए जाते हैं। उनके आत्मविश्वास, दृष्टिकोण, समानुभूति, टीम वर्क और एक्शन के पांच गुणों को उभारा जाता है। इसके बाद लड़कियों को सात के समूह में बांटकर समाज से जुड़ी किसी भी समस्या पर काम करने के लिए कहा जाता है।
प्रोजेक्ट में खास ध्यान इस पर दिया जाता है कि इसमें शामिल लड़कियों के आत्मविश्वास में वृद्धि हो और उसकी सीख-समझ में विकास हो।
आयुषी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि चार-पांच महीनों की अवधि में चार-पांच फॉलोअप किए जाते हैं, जिसमें प्रोजेक्ट के दौरान आने वाली समस्याएं जानकर उनका समाधान सुझाया जाता है, इससे संबंधित विकास की जानकारी ली जाती है और लड़कियों से इस दौरान उनके अनुभव लिए जाते हैं।
आयुषी के मुताबिक, प्रोजेक्ट के अंत में लड़कियां आठ मिनट का प्रेजेंटेशन देती हैं, जिसमें वे जानकारी देती हैं कि प्रोजेक्ट के लिए वह मुद्दा उन्होंने क्यों चुना, उसके लिए प्रेरणा कहां से मिली और उन्होंने उससे क्या सीखा। उत्साहवर्धन के लिए गणमान्य महिलाओं की उपस्थिति में सबसे अच्छे प्रोजेक्ट को पुरस्कृत भी किया जाता है।
आयुषी इस बात से बेहद खुश हैं कि ‘अवंती यंग वुमेन लीडरशिप प्रोग्राम’ में लड़कियां काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और अपने इर्द-गिर्द जुड़ी समस्याओं को गहराई से समझ कर उनके सटीक उपाय भी सुझाती हैं। वे लिंग रूढ़ियों, कुपोषण, स्वास्थ्य, साफ-सफाई जैसे कई मुद्दों में सक्रियता से हिस्सा लेती हैं।
जी (गर्ल्स) 20 सम्मेलन को लेकर आयुषी काफी उत्साहित हैं और वहां वे भारत में लड़कियों और महिलाओं की सामाजिक आर्थिक समस्याओं के संदर्भ में अपने विचार रखने की तैयारी में जुटी हैं।