नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। साइकिलिंग अपने आप में एक रोमांचक खेल है, लेकिन हिमाचल स्पोर्ट्स एंड टूरिज्म प्रमोशन एसोसिएशन (एचएसटीपीए) द्वारा आयोजित हीरो एमटीबी हिमालया रैली इसे रोमांच की नई ऊंचाइयां प्रदान करता है।
नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। साइकिलिंग अपने आप में एक रोमांचक खेल है, लेकिन हिमाचल स्पोर्ट्स एंड टूरिज्म प्रमोशन एसोसिएशन (एचएसटीपीए) द्वारा आयोजित हीरो एमटीबी हिमालया रैली इसे रोमांच की नई ऊंचाइयां प्रदान करता है।
दुनिया के सबसे जटिल माउंटन बाइक रैलियों में शुमार एमटीबी हिमालया इस वर्ष 12वें संस्करण में प्रवेश कर रहा है और इस संस्करण के साथ ही यह रैली रोमांच के नए स्तरों को छूने के लिए तैयार है।
शनिवार से शुरू हो रहा सप्ताह भर 650 किलोमीटर लंबे हिमालय की चुनौतीपूर्ण जटिल पहाड़ी मार्ग से गुजरते हुए हीरो एमटीबी हिमालया रैली जोश, जुनून और जज्बे की नई इबारत लिखेगा।
रैली में हिस्सा लेने वाले सबसे कम उम्र के 18 वर्षीय शिमला के ही रहने वाले आकाश शेरपा जहां युवा जोश की मिसाल पेश करेंगे वहीं पेशेवर जीवन में जम चुकीं जर्मनी की सारा एपेल्ट भले पेशेवर साइकिलिस्ट न हों और इस रैली में खिताब जीतना उनका मकसद न हो लेकिन बीते कई वर्षों से भारत में साइकिल रैलियों में उनकी हिस्सेदारी उनके जुनून को ही दशार्ती है।
हीरो एमटीबी हिमालया रैली के आगामी संस्करण में जब आप कनाडा के 60 वर्षीय जॉन जैक फंक को पहाड़ों की सीना चीरते देखेंगे तो निश्चित ही उनके जज्बे को सलाम करेंगे।
युवा साइकिलिस्ट आकाश से जब आईएएनएस ने पूछा की वह इतनी छोटी उम्र में इस बेहद चुनौतीपूर्ण रैली में हिस्सा क्यों ले रहे हैं तो उनका जवाब था, ” मैं कुछ कर दिखाना चाहता हूं और बताना चाहता हूं कि भारत में कितना टैलेंट है। सीनियर साइकिलिस्ट से सीखने की कोशिश करूंगा, अनुभव हासिल करूंगा और पूरी कोशिश करूंगा कि पोडियम पोजिशन भी हासिल कर पाऊं।”
इसी वर्ष एमटीबी शिमला रैली में स्टूडेंट वर्ग में तीसरे स्थान पर रहे आकाश एमटीबी हिमालया रैली के लिए कठिन तैयारियों में लगे हुए हैं और पढ़ाई से समय निकालकर सुबह-शाम तीन-तीन घंटे अभ्यास कर रहे हैं। हालांकि इस दौरान उन्हें किसी तरह की अकादमिक मदद तो नहीं मिल रही, लेकिन भारतीय स्टार साइकिलिस्ट स्थानीय देवेंद्र ठाकुर से मिली प्रेरणा और एचएसटीपीए के कर्ताधर्ता आशीष सूद का मार्गदर्शन हमेशा उनके साथ रहता है।
भारत में साइकिलिंग से छह वर्षों से संबद्ध जर्मनी की सारा एमटीबी हिमालया रैली में किसी प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं बल्कि साइकिलिंग के प्रति अपने लगाव और जुनून के चलते हिस्सा ले रही हैं।
मनाली में साइकिल टूर इवेंट एजेंसी चलाने वाली सारा कहती हैं, “पांच साल की उम्र से मैंने साइकिलिंग शुरू की और एमटीबी हिमालया रैली में जीत या हार के लिए मैं हिस्सा नही ले रही, बल्कि मेरी कोशिश इसे सफलतापूर्वक पूरा करने की रहेगी। साइकिलिंग करते हुए विभिन्न जगहों से गुजरना, लोगों से मिलना, खूबसूरत वादियों को निहारना मेरा शौक है।”
एमटीबी शिमला रैली के पहले संस्करण की विजेता रहीं सारा ने हालांकि जहां एमटीबी हिमालया रैली में महिला साइकिलिस्ट प्रतिभागियों की बेहद कम संख्या पर चिंता जताई वहीं इसमें लगातार हो रही बढ़ोतरी पर खुशी भी व्यक्त की।
शिमला से फोन पर सारा ने आईएएनएस से कहा, “पिछली बार मैं एमटीबी हिमालया रैली में चौथे स्थान पर रही, लेकिन सबसे चिंताजनक था महिला प्रतिभागियों की बेहद कम संख्या, खासकर भारतीय महिला प्रतिभागियों की गैरमौजूदगी। अच्छी बात यह है कि पिछली बार की तुलना में इस बार शायद दोगुनी या उससे भी अधिक महिला साइकिलिस्ट हिस्सा ले रही हैं और उनमें से कुछ अंतर्राष्ट्रीय पेशेवर साइकिलिस्ट भी हैं।”
सारा के अनुसार, भारत में साइकिलिंग एक खास वर्ग के बीच खेल या शौक के रूप में प्रचलित है, हालांकि वह साथ ही यह भी स्वीकार करती हैं कि स्थिति में तेजी से बदलाव आ रहा है।