रांची, 30 अगस्त (आईएएनएस)। झारखंड में उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण किए जाने का विरोध जोर पकड़ता जा रहा है। इसी सिलसिले में रामगढ़ में हुई पुलिस की गोलाबारी ने आग में घी का काम किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हजारीबाग जिले में दो दिवसीय सामूहिक अनशन शुरूकिया।
पुलिस ने इनलैंड पावर लिमिटेड (आईपीएल) से भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की मांग कर रहे ग्रामीणों पर सोमवार को गोलीबारी की थी। इसमें दो लोगों की मौत हो गई और दोनों पक्ष के 20 से ज्यादा लोग घायल हुए।
विस्थापित लोगों को पहले आईपीएल कारखाने में बातचीत के लिए बुलाया गया था, लेकिन इसमें प्रबंधन ने भाग नहीं लिया। इस पर गांववाले नाराज होकर प्रदर्शन करने लगे। नतीजतन, बाद में पुलिस को गोली चलानी पड़ी।
विपक्षी दलों के अनुसार, इस समय गांव वालों को मुआवजे के रूप में दी जा रही जमीन की कीमत साल 2013 के भूमि अधिग्रहण प्रावधानों के मुताबिक दिया जा रहा है, जो काफी कम है।
झारखंड में कई स्थानों पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ रहा है। हजारीबाग में गांववाले एनटीपीसी के खिलाफ और बरकागांव में कोयला खानों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
एनटीपीसी को बरकागांव में थर्मल पावर प्लांट के लिए 2010 में कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया था, लेकिन प्रदर्शन शुरू होने के कारण खनन कार्य नहीं शुरू हो सका।
विपक्ष ने राज्य सरकार को फरवरी में बजट सत्र के दौरान संथाल परगना क्षेत्र में भूमि का कम मुआवजा दिए जाने पर बैठक बुलाने को कहा। उनका आरोप है कि अडाणी पावर संयत्र को कम दर पर जमीन देने के लिए इसके दाम घटाए गए।
इसके लिए संथाल परगना के जमीन की कीमतों को देखने के लिए एक समिति बनाई गई थी।
भूमि अधिग्रहण पर ताजा विवाद झारखंड सरकार के दो भूमि कानून में बदलाव की कोशिश से शुरू हुआ। इसमें छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीटीए) और संथाल परगना अधिनियम (एसपीटी) शामिल हैं।
यहां तक कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सहयोगी भी विपक्ष के साथ हो गए हैं, ताकि गैर-कृषि कार्यो जैसे पावर संयत्र, सड़कों, मॉल और दूसरी जरूरतों के लिए भूमि अधिग्रहण विधेयक में बदलाव लाया जा सके।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय ने आईएएनएस से कहा, “झारखंड भूमि अधिग्रहण की समस्या से जूझ रहा है।”
पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने आईएएनएस से कहा, “लोगों का मारा जाना रघुवर दास सरकार के क्रूर और असंवेदनशील दृष्टिकोण को दिखाता है।”
विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार भूमि बैंक बनाने का प्रस्ताव लाई है। इसके तहत सरकारी भूमि पर रह रहे लोगों को हटा दिया जाएगा।
एनटीपीसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन यूं तो जुलाई से ही चल रहा था, लेकिन जब विपक्षी नेताओं ने बरकागांव में जाकर लोगों का समर्थन किया, तब विरोध प्रदर्शन ने जोर पकड़ा।
एनटीपीसी ने खनन क्षेत्र में दाखिल होने को लेकर विपक्षी नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। इसे लेकर 4 अगस्त को विपक्ष ने अपनी गिरफ्तारी दी।
इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ग्रामीणों को भरोसा दिया था कि कृषि भूमि को जबर्दस्ती अधिग्रहीत नहीं किया जाएगा।