नई दिल्ली, 5 मार्च (आईएएनएस)। हर रोज 1300 लोग कैंसर से मौत के मुंह में जा रहे हैं, टीबी के बाद यह संक्रामक और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण बन रहा है। इसलिए भारत सरकार तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करने वालों और उनका समर्थन करने वालों को राष्ट्रीय सम्मान न दे। यह बातें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद महासचिव डॉ के के अग्रवाल ने कही।
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित सार्क देशों में कैंसर जागरूकता, रोकथाम, जांच और जल्दी पहचान के बारे में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन डा. अग्रवाल ने कहा कि कहा कि सिगरेट के दोनों तरफ 80 प्रतिशत तक जानकारी छपी होनी चाहिए। इसके एक तरफ तंबाकू के हानिकारक प्रभाव की तस्वीरें हों और दूसरी ओर इसे छोड़ने के लाभ बताएं हों।
उन्होंने कहा कि तस्वीरों में यह भी बताया जाए कि धूम्रपान करने से पौरुष शक्ति और महिलाओं में झुर्रियों की समस्या जल्दी आ जाती है। तम्बाकू में निकोटीन नामक दवा होती है, इसलिए यह केवल दवा की दुकानों पर ही उपलब्ध होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि धूम्रपान न करने वाले लोगों को समूह बनाकर अपने अधिकार की आवाज उठानी चाहिए। तम्बाकू के नुकसान और न प्रयोग करने के फायदे स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाएं। प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना के तहत 1 लाख तम्बाकू काउंसल तैयार किए जाएं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के तहत 2012 से 2014 के दौरान कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या 6 प्रतिशत बढ़ी है।