नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय महिला फेडरेशन (एनएफआईडब्ल्यू) ने तीन तलाक पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा है कि “कुरान ऐसा नहीं लिखा है।”
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन (एनएफआईडब्ल्यू) ने यह भी कहा कि एक हिंदू एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए एक डिजाइन तैयार की गई है और सभी धर्मो के कट्टरपंथी तत्व महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने से इनकार करने के लिए एकजुट हो रहे हैं।
एनएफआईडब्ल्यू की अध्यक्ष नूर जहीर ने मीडिया से यहां कहा, “तीन तलाक को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाना चाहिए। कुरान में यह नहीं कहा गया है। कोई भी इसकी घोषणा करता है या समर्थन करता है तो उसके साथ घरेलू हिंसा को बढ़ाने वाले जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए।”
नूर ने कहा, “एक महिला को उसके पति की तरह के दो वयस्क गवाहों की उपस्थिति में उसी तरह से एक माह और 10 दिनों के अंतराल के बाद तलाक/खुला देने का अधिकार होना चाहिए।”
एनएफआईडब्ल्यू की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष रुशदा सिद्दिकी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के मुद्दे को क्यों जानबूझ कर गुमराह करने वाले अंदाज में केवल मुस्लिम पर्सनल ला से जोड़ा जा रहा है, ताकि समुदायों का ध्रुवीकरण हो।
उन्होंने सवाल किया कि लैंगिक न्याय और महिला अधिकारों की रक्षा की बात करने की जगह विधि आयोग ने एक समान नागरिक संहिता के बारे में एक सार्वजनिक प्रश्नावली जारी की। सरकार दो मुद्दों को एक में क्यों मिलाना चाह रही है?
एनएफआईडब्ल्यू की महासचिव एन्नी रजा ने कहा कि इसमें कुछ और नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी का अपना हिंदूवादी एजेंडा आगे बढ़ाना मकसद है। सभी धर्मो के सभी कट्टरपंथी और रूढ़िवादी ताकतें महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने से इनकार करने के लिए एकजुट हैं।
रजा ने कहा, “मौजूदा परिस्थिति में मुस्लिम समुदाय के कट्टरपंथियों को उनके हिंदू धर्म के समकक्षों के साथ घनिष्टता बढ़ गई है।”