कोलकाता, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने गुरुवार को कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रदेश में प्रवीण तोगड़िया के प्रवेश पर पाबंदी को लेकर जारी निषेधात्मक आदेश को वह कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती देगी।
बुधवार को विहिप नेता के खिलाफ निषेधात्मक आदेश जारी करते हुए कहा गया कि प्रदेश में उनकी उपस्थिति से सांप्रदायिक तनाव व सार्वजनिक शांति के भंग होने का खतरा पैदा हो सकता है।
विहिप के संगठन महासचिव (पूर्व) सचिंद्र नाथ सिन्हा ने आईएएनएस से कहा, “निषेधात्मक आदेश जारी करने के अलावा उत्तरी दिनाजपुर जिले के रायगंज में होने वाली हमारी जनसभा की मंजूरी को भी रद्द कर दिया गया है, जिसे तोगड़िया संबोधित करने वाले थे। इन दोनों फैसलों के खिलाफ आज (गुरुवार) हम कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख कर रहे हैं।”
सिन्हा ने कहा, “निषेधात्मक आदेश मनमाने ढंग से लिया गया फैसला है और यह कानून के खिलाफ है। इसे कानूनी तौर पर चुनौती देने के लिए हम आज न्यायालय जा रहे हैं।”
इससे पहले, जनवरी में बीरभूम जिले के खरमदंगा गांव में जनजाति समुदाय के 100 से अधिक लोगों का धर्मातरण कर उनकी धार्मिक भावना को आहत करने के आरोप में तोगड़िया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि विहिप ने ‘घर वापसी’ कार्यक्रम का आयोजन कर लगभग 150 ईसाइयों का जबरन धर्मातरण कर दिया। वहीं विहिप ने आरोपों का खंडन किया था और इसे केवल एक धार्मिक समारोह बताया था।
वहीं, तोगड़िया ने बंगाल सरकार के कदम को गलत और हास्यास्पद करार दिया।
तोगड़िया ने कहा, “क्या ममता दीदी सड़क पर नामाज अदा करने वाले नमाजियों को, गुड फ्राइडे की प्रार्थना के लिए जा रहे ईसाइयों या हनुमान जयंती के मौके पर जुलूस निकाल रहे लोगों को गिरफ्तार करेंगी? सर्वोच्च न्यायालय ने सूचना प्रौद्योगिकी की धारा 66ए को रद्द कर दिया है, जिसकी पहुंच करोड़ों लोगों तक है, फिर दो हजार लोगों की जनसभा के लिए एक व्यक्ति पर पाबंदी क्यों लगाई गई है?”
उन्होंने कहा, “आश्चर्य होता है कि ममता दीदी को इस तरह की पाबंदी की लगाने की सलाह किसने दी।”