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त्रिपुरा ने मनाया 46वां विजय दिवस

अगरतला, 16 दिसम्बर (आईएएनएस)। त्रिपुरा ने 1971 में हुए बंग मुक्ति संग्राम में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के बलिदान को याद करते हुए शनिवार को 46वां विजय दिवस मनाया।

पाकिस्तानी सेना के पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाजी ने 16 दिसंबर, 1971 को ढाका में समर्पण-पत्र पर हस्ताक्षर किया था और इसके साथ ही नौ महीनों तक चला युद्ध समाप्त हुआ था। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

जीत का स्मरण करने के क्रम में त्रिपुरा में ब्रिगेड कमिश्नर का पद संभाल रहे कर्नल शगुन भटनागर ने इस अवसर पर शहर के बाहरी इलाके लिचु बागान में स्थित शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। सेना के अधिकारी, अगरतला सैन्य अड्डे के सैनिक और त्रिपुरा के पूर्व सैनिकों ने स्मृति समारोह में भाग लिया।

शोधकर्ता और लेखक मनीष पॉल ने कहा, “बहादुर भारतीय सेना ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के साथ मिलकर प्रभावी ढंग से युद्ध लड़ा और मौजूदा भारत और बांग्लादेश के संप्रभुता की रक्षा की।”

उन्होंने 1971 के युद्ध में भारतीय सेना के अधिकारियों और सैनिकों, विशेष रूप से लांस नायक अल्बर्ट एक्का (झारखंड से) के बलिदान को रेखांकित किया।

भारतीय सीमा सुरक्षा बल और बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के अधिकारियों ने इस अवसर पर एक-दूसरे को बधाई दी।

बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग कार्यालय द्वारा यहां आयोजित एक दिवसीय समारोह में समाज के विभिन्न वर्गो के लोगों के बीच चर्चा आयोजित की गई और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।

रक्षा विभाग की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, 1971 के युद्ध में दो प्रमुख अभियान -ऑपरेशन कैक्टस लिली और ऑपरेशंस नट क्रैकर- शामिल थे और 57 माउंटेन डिवीजन सक्रिय रूप से 57 माउंटेन आर्टिलरी ब्रिगेड के समर्थन के साथ दोनों अभियानों में शामिल थे।

रक्षा विज्ञप्ति में कहा गया, “दोनों अभियान अगरतला के पश्चिम से ढाका की तरफ बढ़े। युद्ध 16 दिसंबर, 1971 को समाप्त हुआ और पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने बिना शर्त समर्पण कर दिया। लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) इयान काडरेजो, लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, लांस नायक अल्बर्ट एक्का जैसे लोग इस युद्ध के हीरो रहे।”

विज्ञप्ति में आगे कहा गया है, “अगरतला शहर ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि सीमा पर मौजूद शहर को बांग्लादेश पर आक्रमण करने लिए एक लांच पैड के रूप में इस्तेमाल किया गया। भारतीय सेना के सैनिकों को समर्थन प्रदान करके त्रिपुरा के स्थानीय निवासियों ने बड़ी भूमिका निभाई थी।”

त्रिपुरा सरकार ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अपने जीवन का बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों और बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों की याद में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से 132 किलोमीटर दक्षिण में सीमा पर स्थित गांव चटखोला में एक विशाल स्मारक और पार्क का निर्माण किया है।

इस अवसर पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने 20.20 हेक्टेयर में फैले और सात करोड़ रुपये की लागत से बने पार्क और स्मारक का उद्घाटन किया। इसे बनाने में आठ वर्ष का समय लगा।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब-उर-रहमान की प्रतिमा भी यहां स्थापित की गई है, जिसे नोडल एजेंसी के रूप में वन विभाग और त्रिपुरा सरकार के कम से कम 10 विभागों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।

संप्रभु राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश को मान्यता देने वाला भारत पहला देश था।

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