नई दिल्ली, 2 फरवरी (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी में पगड़ी देकर दुकान किराए पर लेने वाले करीब चार लाख पगड़ी कारोबारियों को दुकानें खाली करने संबंधी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इन दुकानदारों से जुड़े व्यापारी संघ का कहना है कि अगर 15 दिन में केंद्र सरकार दिल्ली किराया कानून में संशोधन कर दुकानदारों को राहत नहीं दिलाती है तो वे वोटिंग से दूर रहेंगे और चुनाव में नोटा का बटन दबाएंगे।
राजधानी पगड़ी किराएदार संगठन के अध्यक्ष रवि गर्ग ने कहा, “पगड़ी व्यापारी संघ के कई सदस्यों ने इस मुद्दे पर दिल्ली में सांसदों से मुलाकात की थी। जिसके बाद महेश गिरि, डॉ. हर्षवर्धन, डॉ. उदित राज और मनोज तिवारी जैसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसदों ने तत्कालीन शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू के सामने व्यापारियों को उनकी दुकान से बाहर निकालने का मामला सामने रखा था।”
उन्होंने कहा, “संघ के पदाधिकारियों ने इस मामले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से इन चार वर्षो में कम से कम 15 बार मुलाकात की। 2016 में अमित शाह ने आश्वासन भी दिया था कि कानून को एक हफ्ते में पगड़ी देकर दुकान किराए पर लेने वाले दुकानदारों के पक्ष में संशोधित किया जाएगा, लेकिन जमीन माफिया से जुड़े लोगों के दबाव के कारण कोई फैसला नहीं लिया जा सका।”
राजधानी पगड़ी किराएदार संगठन के संयोजक व प्रवक्ता राम भक्त अग्रवाल ने कहा, “सैकड़ों दुकानदार अपनी रोजी-रोटी का साधन छिनने के डर से मौत को गले लगा चुके हैं। हजारों परिवार दुकान से बाहर निकाले जाने के डर से डिप्रेशन में जिंदगी बिता रहे हैं। इससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी भी फैली है। इससे खतरनाक सामाजिक और आर्थिक समस्या जन्म ले रही है।”
वहीं दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने केंद्रीय शहरी विकास एवं आवास मंत्री हरदीप पुरी समत कई भाजपा नेताओं से मुलाकात की, लेकिन उनकी समस्या दूर नहीं हुई।
दुकानदारों की मांग है कि दिल्ली किराया कानून में संशोधन कर दुकानदारों को राहत दिलाई जाए।