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‘दिल्ली पुलिस केंद्र के आदेश पर काम न करे’

नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली पुलिस से कहा कि वह ‘केंद्र के आदेश’ के तहत काम नहीं करे। अदालत ने दिल्ली पुलिस में अतिरिक्त भर्तियों के लिए धन नहीं देने पर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई।

न्यायमूर्ति बी.डी.अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने इस बात पर सवाल उठाया कि दिल्ली पुलिस में अतिरिक्त कर्मियों की भर्ती को गृह मंत्रालय की तरफ से मंजूरी मिलने के बावजूद वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इसके लिए धन क्यों नहीं जारी किया।

उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह ‘आक्रामकता’ के साथ केंद्र सरकार को बताए कि उसे अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की जरूरत है।

दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के मातहत है।

पीठ ने कहा, “दिल्ली पुलिस को केंद्र के आदेशों के तहत काम नहीं करना चाहिए। स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए। यह बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है। दिल्ली पुलिस को इस बारे में अधिक आक्रामक होना होगा।”

न्यायालय ने कहा, “जब गृह मंत्रालय ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी तो फिर व्यय मंत्रालय इसे कैसे रोक सकता है? इसे देखना चाहिए था कि प्रस्ताव पर अमल के लिए धन उपलब्ध हो सके।”

अदालत ने कहा, “एक बड़े (शापिंग) माल को बनाने में इससे अधिक पैसा लग जाता है..यह (धन) व्यय विभाग में बैठे अफसरों की जेब से नहीं लिया जा रहा है। हम सभी इसके लिए भुगतान कर रहे हैं। क्या बदले में हमें सुरक्षा मिल रही है? क्या महिलाएं महज शाम सात बजे के बाद ही इत्मीनान से घूम-फिर सकती हैं?”

जुलाई 2013 के आदेश में अदालत ने केंद्र सरकार से दिल्ली पुलिस में 14 हजार अतिरिक्त भर्तियों के लिए कहा था। इस पर 450 करोड़ रुपये का खर्च होना था।

केंद्र सरकार नेदिसंबर 2015 में अदालत को बताया कि दिल्ली पुलिस में 4227 पदों का सृजन किया गया है।

व्यय विभाग ने बुधवार को दाखिल हलफनामे में कहा कि इन 4227 पदों को दो चरणों में पुलिस में शामिल किया जाएगा। पहले 2016-17 में और फिर 2017-18 में।

हलफनामे में कहा गया है कि गृह मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि वह दिल्ली पुलिस की वर्तमान और भावी जरूरतों के हिसाब से एक समग्र प्रस्ताव दे। इससे वित्त मंत्रालय को इस पर समग्र राय बनाने में आसानी होगी।

अदालत को केंद्र सरकार का यह रुख पसंद नहीं आया कि श्रमशक्ति बढ़ाने के बजाए तकनीक पर ध्यान दिया जाए। अदालत ने कहा, “रोबोट दिल्ली नहीं चला सकते। वे मुफ्त में नहीं मिलते, उनके लिए धन खर्च करना होगा। मानव जीवन मुफ्त में उपलब्ध है।”

एमिकस क्यूरी मीरा भाटिया ने कहा कि सरकार ने उन 44 जगहों पर भी सीसीटीवी नहीं लगाया, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने संवेदनशील माना है। उन्होंने इसकी वजह जाननी चाही।

वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पीठ से कहा, ” मानव संसाधन और आधुनिक प्रौद्योगिकी को साथ-साथ चलने की जरूरत है।”

अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की भर्ती न होने पर अदालत ने कहा, “केंद्र का रवैया खासा निराशाजनक है, फिर चाहे यह सरकार हो या फिर इसके पहले की सरकार रही हो।”

अदालत ने ये बातें राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा और पुलिस बल बढ़ाने से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही।

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