नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी की हृदयस्थली कनाट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क में शुक्रवार को करीब दो दर्जन मिथिला के युवा कवियों ने रंग-बिरंगे पाग पहनकर कवि गोष्ठी में भाग लिया। कवि गोष्ठी का यह मनोरम दृश्य देखने लायक था।
युवा कवियों के द्वारा मिथिला की पाग संस्कृति को अपनाया जाना देश और क्षेत्र के सांस्कृतिक उत्थान के प्रति इनके रुझान का संकेत है।
मिथिला की संस्कृति को देश की सांस्कृतिक मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मिथिलालोक फाउंडेशन ‘पाग बचाउ अभियान’ चला रहा है, जिसमें जाति व धर्म से ऊपर उठकर सभी वर्ग के लोग बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. बीरबल झा का मानना है कि मिथिला की संस्कृति को यथोचित रूप में प्रस्तुत करने पर समाज में लोग तनाव मुक्त होंगे और खुशहाल जिंदगी व्यतीत करेंगे। यह संस्था मिथिला की सांस्कृतिक, सामाजिक समरसता एवं आर्थिक उत्थान के लिए काम कर रही है।
कवि गोष्ठी में भाग लेते हुए युवा कवि मनीष झा ‘बौआभाई’ ने कहा, “हमें मिथिला की संस्कृति पर गर्व है, पाग से हमारी अलग पहचान बनती है।”
मिथिला गृह उद्योग के संचालक अमरनाथ मिश्र कवि भी हैं। उनका कहना है कि ‘पाग बचाउ अभियान’ लोगों को एक कड़ी में जोड़ रहा है।
कवि गोष्ठी में आनंद मोहन झा, मदन मुस्कान, मुकुंद मयंक, श्याम झा, नीरज झा, रौशन मैथिल, नीतीश कर्ण, रणधीर चौधरी एवं मिथिला स्टूडेंट यूनियन के कई अन्य सदस्य शामिल थे।
‘पाग बचाउ अभियान’ की शुरुआत इसी साल फरवरी में दिल्ली स्थित आईटीओ के राजेंद्र भवन से पाग मार्च निकालकर की गई थी, जिसमें करीब 500 लोगों ने अपने सिर पर पाग पहनकर दुनिया को पाग संस्कृति का संदेश दिया।
मिथिलालोक फाउंडेशन अब ‘पाग फॉर ऑल’ का नारा देकर जातीय भिन्नता में एकता लाने का भगीरथी प्रयास भी कर रही है।