नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। किसानों को मानसून की अनिश्चितताओं से बचाने की कोशिश के तहत केंद्र सरकार ने गुरुवार को नई राष्ट्रीय सिंचाई योजना की घोषणा की। इसके लिए 50,000 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है, जिसके जरिए कृषि क्षेत्र को न सिर्फ पर्याप्त सिंचाई उपलब्ध कराई जाएगी, बल्कि इसके उचित इस्तेमाल और बर्बादी पर रोक को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
सरकार ने ऑनलाइन राष्ट्रीय कृषि बाजार की स्थापना को लेकर अगले तीन वर्षो के लिए 200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें 585 थोक बाजारों को शामिल किया जाएगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि इस योजना में पांच वर्षो के दौरान 50,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसकी शुरुआत इस वित्त वर्ष से हो रही है। इस वित्त वर्ष इसमें 5,300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने मंजूरी दी, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।
जेटली ने कहा कि इस योजना का लक्ष्य कृषि योग्य भूमि का विस्तार करना है, जहां सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित हो। पानी की बर्बादी रोकना तथा जल संचयन की अन्य तकनीकों को बढ़ावा दिया जाना भी इस योजना का मकसद है।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का लक्ष्य जिला सिंचाई योजना (डीआईपी) और राज्य सिंचाई योजना (एसआईपी) की मंजूरी राज्य को देने के लिए राज्य स्तरीय योजना तथा इसे लागू करने वाली संस्था का विकेंद्रीकरण करना है।
कार्यक्रम की निगरानी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में अंतर मंत्रालय राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससी) द्वारा की जाएगी।
सीसीईए ने एग्री-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एटीआईएफ) के जरिए राष्ट्रीय कृषि बाजार को बढ़ावा देने वाली केंद्रीय योजना को भी मंजूरी दे दी।
2015-16 और 2017-18 के लिए इस योजना में 200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
इसका लक्ष्य देशभर के नियमित 585 बाजारों को इसमें शामिल करना है।