इसे एसएए की वेबसाइट पर आठ भागों में प्रसारित किया जाएगा। 15 अगस्त 1945 के ही दिन जापान के सम्राट हिरोहितो ने जापान के आत्मसमर्पण की घोषणा की थी।
जापान ने सितंबर 1931 में उत्तरपूर्वी चीन पर हमला किया था और सात जुलाई 1937 तक पूरे चीन पर हमला कर दिया गया था। इस युद्ध में लगभग 3.5 करोड़ चीनी सैनिकों और नागरिकों की मौत हुई थी और बड़ी तादाद में लोग घायल हुए थे।
इस दौरान जापानी फौजों ने लगभग दो लाख महिलाओं को यौन गुलामी में धकेला था। उस दौरान इन महिलाओं को ‘कंफर्ट वुमन’ कहा गया। इनमें से आज मुट्ठीभर महिलाएं ही जीवित हैं, जिनमें से कुछ ही महिलाओं ने कंफर्ट वुमन होने की बात स्वीकारी है। लेकिन हजारों महिलाएं ऐसी थी, जिन्हें इस असहनीय दुख और पीड़ा के लिए जापान से कोई माफी और मुआवजा नहीं मिला और उनकी मौत के साथ ही यह राज दफ्न हो गया।
एसएए के मुताबिक, “जापानी आक्रमणकारियों द्वारा हिंसा के इन भयावह और संस्थागत कार्यो को मानव सभ्यता इतिहास में मुश्किल से ही देखा जा सकता है। ये इतिहास के सर्वाधिक दर्दनाक अध्यायों में से एक हैं।”
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर शुक्रवार को बयान जारी किया, लेकिन उन्होंने बयान में कंफर्ट वुमन का सीधा उल्लेख नहीं किया।
एसएए द्वारा जारी पहले वीडियो में जापानी युद्ध अपराधी इबातो सूयोशी का हवाला देते हुए कहा गया है कि चीन के शांनडोंग में आक्रमण के दौरान इस जापानी सार्जेट ने एक चीनी महिला को जबरन यौन बंधक बनाया और भोजन की कमी होने पर वह इस महिला को मारकर खा गया। उसने अपने सैन्य दस्ते को भी महिला का मांस यह कहते हुए परोसा कि यह उनका नियमित आहार है।