भोपाल, 16 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने यहां मंगलवार को कहा कि अगले साल से केंद्र सरकार द्वारा नई कृषि आमदनी बीमा योजना शुरू की जाएगी, जिसमें किसानों को न्यूनतम आय का प्रावधान होगा। वह मंगलवार को मध्यप्रदेश की राजधानी में फसल बीमा पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
राधामोहन ने कहा कि मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। अन्य राज्यों को मध्यप्रदेश का अनुकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र की किसान-हितैषी योजनाओं की सफलता में राज्यों की मुख्य भूमिका है। मध्यप्रदेश ने इस दिशा में उत्कृष्ट कार्य किया है।
सिंह ने आगे कहा कि मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन की दिशा में पूववर्ती सरकार ने कोई काम नहीं किया था। वर्तमान केंद्र सरकार ने हर किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने की पहल कर ऐतिहासिक काम किया है। पूर्व सरकार ने इस कार्य के लिए मात्र 78 करोड़ रुपये पूरे देश के लिए रखे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में इस काम के लिए 568 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए गए हैं।
उन्होंने मोदी सरकार को किसान हितैषी करार देते हुए रॉबर्ट वाड्रा का नाम लिए बगैर कांग्रेस पर करारा हमला बोला। कहा कि जिन लोगों के रिश्तेदार हरियाणा में किसानों की जमीन लेकर अरबपति बन गए हैं, आज वे भूमि अधिग्रहण कानून का विरोध कर रहे हैं।
राधामोहन ने कहा कि चुनाव के बाद जिस दिन नरेंद्र मोदी को नेता चुना गया था, उसी दिन उन्होंने गांव, गरीब और किसान के हित की बात की थी और आज सरकार इसी को लेकर आगे बढ़ रही है। इस संकल्प केा पूरा करने मंे बाधा के तौर पर अगर हिमालय भी आएगा तो उसे पार किया जाएगा।
उन्होंने गांव के विकास की बात करते हुए कहा कि सड़क, विद्यालय, अस्पताल के लिए जमीन चाहिए, वहीं दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर पर कई किलोमीटर दूर तक उद्योग नहीं है, गांव के लोगों को भी रोजगार चाहिए, मगर कुछ लोग कहते हैं कि सरकार किसानों की जमीन हड़पना चाहती है।
कांग्रेस के भूमि अधिग्रहण कानून में सामाजिक मूल्यांकन (सोशल असेसमेंट) को शामिल किए जाने की मांग पर केंद्रीय मंत्री ने चुटकी ली और कहा कि जब चांदनी चौक बन रहा था, तब ऐसा नहीं हुआ। अब जब किसानों के विकास की बात हो रही है तो सामाजिक मूल्यांकन की बात की जा रही है।
केंद्रीय कृषिमंत्री के उद्बोधन से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि वे किसानों की न्यूनतम आय तय किए जाने के पक्ष में हैं, केंद्रीय स्तर पर प्रयास न होने पर राज्य सरकार द्वारा किसानों की न्यूनतम आमदनी तय करने वाली फसल बीमा योजना बनाने की बात कही।
चौहान ने आगे कहा कि बीमा कंपनियां लाभ कमाने आती हैं, अगर उन्हें लाभ न हो तों वे यह धंधा करें ही क्यों। उन्होंने आगे कहा कि बीमा के मामले में कंपनियों की बजाय सरकार और किसान के बीच सीधा नाता हो जाए तो किसान को लाभ होगा। किसान से न्यूनतम प्रीमियम लिया जाए और केंद्र व राज्य सरकारें अपना हिस्सा मिलाएं तो किसानों को न्यूनतम आमदनी मिल सकती है।
चौहान ने आगे कहा कि फसल बीमा योजना मंे सिर्फ नुकसान का प्रावधान नहीं होना चाहिए, बल्कि दाम में गिरावट आने पर किसान को लाभ मिले ऐसे प्रावधान किए जाएं। एक एकड़ की अधिकतम और न्यूनतम पैदावार के औसत के आधार पर पैदावार तय की जाए, अगर उससे कम पैदावार होती है तो बीमा के जरिए किसान की आमदनी की भरपाई की जाए।
उन्होंने बीमा के मॉडल में बदलाव पर जोर देते हुए कहा कि कृषि बीमा के क्षेत्र में ईल्ड मॉडल न होकर राजस्व वाला मॉडल अपनाया जाना चाहिए, साथ ही बीमा कराने वाले किसान को प्रीमियम देने के बाद किसी भी तरह का दावा न करने की स्थिति में न्यूनतम बोनस का भी प्रावधान हो, ऐसा होने पर किसान का बीमा की प्रति लगाव बढ़ेगा।
चौहान ने खेती को देश की अर्थ व्यवस्था के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के काल में मंदी आई थी, मगर मध्य प्रदेश पर उसका ज्यादा असर नहीं हुआ था, क्योंकि यहां के किसान ने मेहनत कर भरपूर पैदावार की थी, इससे बाजार भी चले और सरकार को राजस्व भी मिला। इसलिए मेक इन इंडिया जरूरी है, इसके साथ खेती भी प्राथमिकता में हो तभी काम चलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका सूत्र नहीं बल्कि मंत्र है खेती को फायदे का धंधा बनाना। इसके लिए जरूरी है किसान को सुविधा देना और उनकी सरकार यह कर रही है।
वर्तमान फसल बीमा पर सवाल उठाते हुए चौहान ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने संपूर्ण विचार कर बीमा योजना नहीं बनाई थी, किसान उसके केंद्र में था ही नहीं। किसान की जब फसल नष्ट हो जाती है तो वे निराश हो जाता है, उसे कुछ नहीं सूझता और वह जीवन समाप्त करने जैसा कदम उठा लेता है।
चौहान ने आगे कहा कि वह तो चाहते हैं कि राज्य में किसान कल्याण कोष बने, जिसमें तय राशि हर वर्ष किसानों के हित के लिए उसमें डाली जाए और जब किसी तरह की विपत्ति आए तो किसानों को उसी कोष से मदद मुहैया कराई जाए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने बीते वर्ष किसानों को लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की मदद दी है।
इस मौके पर राज्य के कृषिमंत्री गौरीशंकर बिसेन, भारतीय किसान संगठन के संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी सहित विभिन्न स्थानों से आए कृषि वैज्ञानिक व विशेषज्ञ मौजूद थे।