उज्जैन- सिंहस्थ 2016 की शुरुआत आज शाही स्नान से हुई .जिन्होंने पूर्व के सिंहस्थ या कुम्भ देखे हैं वे आज का आगाज देख चिंता में पड़ गए.क्या यही होगा सनातन के पर्वों का हाल.जिस शासन ने 500 करोड़ के ऊपर की राशि सिर्फ प्रचार-प्रसार में खर्च कर दी,140 करोड़ के टूटे-फूटे शौचालय बनवा दिए वह आंकलन के दस प्रतिशत श्रद्धालुओं को भी आकर्षित नहीं कर सका उज्जैन आने के लिए.
इतनी कम संख्या वह भी प्रथम शाही स्नान के समय चिंताजनक है.गर्मी तो प्रत्येक सिंहस्थ में पड़ती है लेकिन श्रद्धालू अपने पूरे जोश से इसमें हिस्सा लेते आये है.सुबह 6 बजे यह हालात थे की जनमानस ऐसे आ रहा था जो अन्य सामान्य पर्वों के समय आता है.लेकिन जो टेलीविजन पर शाही स्नान देख रहे थे उन्हें बुद्धू-बक्सा बता रहा था पैर रखने की जगह नहीं है.पुरजोर भीड़.
यही राग उस समय मुख्यमंत्री एवं प्रभारी मंत्री आलाप रहे थे जब बुद्धू-बक्से में दिख रहा था की उपस्थित लोग कर्मचारी और पुलिसकर्मी के रूप में ज्यादा है.स्नान करने वालों की अपेक्षा.
प्रशासन का दावा 50 लाख-आये 5 लाख भी नहीं
सरकारी नुमाइंदे और पोषित संस्थान 50 लाख का दावा कर रहे थे जो रटे-रटाये उत्तर की तरह था.जबकि बाद में वे ही कहते नजर आये पर्व में भी पाप कमा रहे हैं.प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह तो यहाँ तक कह गए की इससे अच्छा कार्य जीवन भर नहीं किया हम आगे कहते हैं की अब मौका भी नहीं मिलेगा आपको जनाब.
प्रथम प्रवेशायी से हुआ अपशकुन
27 अप्रैल को होने वाली प्रेवेशायी 5 मई करने से प्रथम अपशकुन शुरू हुआ.सिंहस्थ की सफलता तभी से दांव पर लग गयी थी.सम्माननीय नागा साधुओं की प्रथम प्रवेशायी को कतिपय राजनैतिक एवं प्रशासनिक तत्वों ने 5 मई करवा दिया.क्षिप्रा को नर्मदा में बदल दिया सनातन का बंटाधार कर 500 करोड़ का प्रचार कर दिया लेकिन आये कितने मात्र कुछ हजार.
अजब गजब दावे
सत्ता धारी सूत्र 50 लाख ,कुछ 25 मतलब जैसा कद वैसा दावा कर रहे थे समझे आप जैसा माल वैसा दावा.लेकिन एक अफसरान ने शाम होते-होते 2 लाख कह ही दिया.
स्थानीय लोग भी नहीं निकले
स्थानीय रहवासी प्रशासन की बदनाम व्यवस्था से निकलने में कतराते रहे.लोगों ने घर में ही नहाने में समझदारी समझी.अब जब क्षिप्रा नदी का जल है ही नहीं तो स्नान कैसा.उज्जैन की सड़कें,बस-स्टैंड ,रेलवे स्टेशन सूने पड़े रहे.लग रहा था जैसे प्रथम शाही स्नान नहीं कोई सामान्य दिन है.साधू,पुलिस और शासकीय कर्मचारी इस पर्व की शोभा बढ़ा रहे थे.