नई दिल्ली, 4 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली सरकार को झटका देते हुए राष्ट्रीय राजधानी के गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में नर्सरी कक्षा में दाखिले के लिए प्रबंधन कोटा बनाए रखने का आदेश दिया। वहीं न्यायालय के इस फैसले पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
न्यायाधीश मनमोहन ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा छह जनवरी को जारी उस सर्कुलर पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश जारी किया, जिसमें उसने प्रबंधन कोटा सहित 62 मानदंडों को समाप्त कर दिया था।
न्यायालय ने हालांकि सरकार द्वारा छह जनवरी को जारी आदेश के तहत 62 मानदंडों को खत्म करने की जगह निजी स्कूलों द्वारा प्रस्तावित 11 मानदंडों को स्वीकार कर लिया। न्यायालय ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा नर्सरी में नामांकन के लिए निर्धारित 62 मानदंडों में से कुछ अस्थिर हैं।
न्यायालय ने आप सरकार से यह भी कहा कि वे उन निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करे, जो प्रबंधन कोटा की आड़ में बच्चों के नामांकन के लिए माता-पिता से पैसों की मांग कर रहे हैं।
न्यायालय ने कहा कि दिल्ली सरकार ने वह आदेश बिना किसी अधिकार के जारी किया था। इसे उप राज्यपाल नजीब जंग की अनुमति नहीं मिली थी और यह साल 2007 में उपराज्यपाल द्वारा जारी आदेश के विपरीत है।
साल 2007 में एक आदेश में राज्यपाल ने निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को नर्सरी में नामांकन के लिए अपना दिशा-निर्देश जारी करने की मंजूरी दी थी।
न्यायालय ने यह भी कहा कि सरकार का आदेश निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की स्वायत्तता व विद्यार्थियों के अधिकारों का उल्लंघन है।
एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकोग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स एंड फोरम फॉर प्रोमोशन ऑफ क्वालिटी एजुकेशन ने अपनी याचिका में यह कहकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है कि सरकार का सर्कुलर पूरी तरह अवैध है और इसे खारिज कर देना चाहिए, क्योंकि यह स्कूलों की स्वायत्तता को छीनने वाला है, लेकिन दिल्ली सरकार अपनी बात पर अड़ी है कि निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के पास पूर्ण स्वायत्तता नहीं है।
इससे पहले उप मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया न्यायालय के समक्ष पेश हुए और सीलबंद लिफाफे में उन सबूतों को न्यायालय को सौंपा, जिसमें माता-पिता ने बच्चों के नामांकन के लिए स्कूलों पर पैसे मांगने का आरोप लगाया है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने छह जनवरी को कहा कि प्रबंधन कोटा को खत्म करने का फैसला नामांकन प्रक्रिया में अधिक से अधिक पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में गरीब परिवार के छात्रों के नामांकन के लिए मौजूदा 25 फीसदी कोटा यथावत रहेगा।
वर्तमान में स्कूल 20 फीसदी या इससे भी अधिक सीटें प्रबंधन कोटा के लिए सुरक्षित रखते हैं, जबकि 25 फीसदी सीटें अर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चों के लिए होती हैं। बाकी सीटों पर सामान्य श्रेणी के तहत नामांकन होता है।