लखनऊ, 2 अप्रैल (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश की राजधानी में आपराधिक घटनाओं को ताबड़तोड़ अंजाम दिया जा रहा है। इन घटनाओं से प्रदेश की राजधानी और नवाबों का शहर लखनऊ उत्तर प्रदेश का ‘क्राइम कैपिटल’ बन गया है।
शहर के पुलिस कप्तान हालांकि कानून व्यवस्था की स्थिति में पहले से सुधार बताते हैं। मगर विपक्ष का आरोप है कि मुख्यमंत्री ऐसी घटनाओं के प्रति अपनी आंखें मूंदे हुए हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अखबारों में छपे विज्ञापनों में यह दावा करने से नहीं चूक रहे कि उनके शासन काल में कानून व्यवस्था की स्थिति में व्यापक तौर पर सुधार आया है, लेकिन बीते तीन महीनों में यहां 42 हत्या, 20 बड़ी डकैतियां, एक बैंक में सेंधमारी जिसमें तीन लोगों की मौत जैसी वारदात उनके दावों की पोल खोलती हैं।
वहीं, पुलिस अधिकारी शहर में पुलिस की पूरी सतर्कता का दावा करते हैं। लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यशस्वी यादव ने दावा किया कि कानून व्यवस्था की स्थिति में वास्तव में सुधार आया है। शहर के पुलिस महानिरीक्षक ने हालांकि लखनऊ में अपराध में बढ़ोतरी को स्वीकार किया और कहा कि उन्हें रोकने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं।
अन्य पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, क्राइम ग्राफ के बढ़ने के बावजूद यशस्वी यादव मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ‘खासमखास’ बने हुए हैं।
बीते तीन साल में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार के दौरान प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद लचर रही है। राजधानी में अपराध में अचानक आए उछाल से पार्टी के अति निष्ठावान समर्थक भी भौंचक्क हैं।
कई मामलों को सुलझाने में पुलिस नाकाम रही है और स्थिति पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री द्वारा दी गई समय-सीमा का अधिकारियों पर कोई असर नहीं पड़ा है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “लखनऊ में गंभीर पुलिसिंग का कोई मतलब नहीं रह गया है और जो भी हो रहा है, बस खानापूरी है।”
पुलिस विभाग के अंदरूनी सूत्र यशस्वी यादव पर अपने साथियों पर धौंस जमाने और पदानुक्रम तोड़ने का आरोप लगाते हैं।
एक अधिकारी ने कहा, “परिणाम तो आप देख ही रहे हैं।”
रिकॉर्ड के मुताबिक, अन्य अपराधों के अलावा हत्या के 30 प्रयास हुए, एटीएम से करोड़ों रुपये की डकैती और 125 चोरियां हो चुकी हैं।
बीते मंगलवार को पुलिस महानिदेशक के कार्यालय के पास एक नाले से एक व्यक्ति का धड़ बरामद हुआ, जबकि राज्य के सचिवालय के एक कर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
इसी तरह की स्थितियों के लिए वरिष्ठ पुलिसकर्मियों को या तो निलंबित कर दिया गया, या फिर उन्हें किनारे लगा दिया गया। लेकिन यशस्वी यादव पर कोई आंच नहीं आई।
यशस्वी यादव ने हालांकि अपराध का ग्राफ बनने के आरोपों से इनकार किया। उन्होंेने कहा, “हम सही दिशा में चल रहे हैं। शहर में कानून व्यवस्था में खासा सुधार हुआ है और यातायात व्यवस्था भी पहले से सुधरी है। एक पेशेवर के रूप में इस उपलब्धि से मुझे संतुष्टि है।”
लेकिन यादव की इस बचाव-मुद्रा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) इत्तेफाक नहीं रखती।
भाजपा के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा, “मुख्यमंत्री ने खराब होती कानून व्यवस्था पर अपनी आंखें मूंद ली हैं और अपने पालतू अधिकारियों को संरक्षण दे रहे हैं।”
वहीं बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, “अराजक और अपराधी लोग लखनऊ में बेखौफ हो गए हैं।”