वाशिंगटन, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक भी अब परग्रही जीवन की सत्यता स्वीकारते हैं। उनके मुताबिक परग्रही जीवन सिर्फ संभावना नहीं, बल्कि सत्य है और मानव 2045 तक पृथ्वी से दूर अन्य ग्रहों पर जीवन के बारे में निर्णायक संकेत जुटा लेंगे।
वाशिंगटन, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक भी अब परग्रही जीवन की सत्यता स्वीकारते हैं। उनके मुताबिक परग्रही जीवन सिर्फ संभावना नहीं, बल्कि सत्य है और मानव 2045 तक पृथ्वी से दूर अन्य ग्रहों पर जीवन के बारे में निर्णायक संकेत जुटा लेंगे।
समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, वैज्ञानिकों के लिए एलियन के जीवन की सच्चाई ज्यादा समय तक रहस्य नहीं रह सकेगी, लेकिन प्रश्न यही है कि कब तक।
नासा की मुख्य वैज्ञानिक एलेन स्टोफेन ने इस सप्ताह अंतरिक्ष में जीवाणुओं के स्थानों के बारे में आयोजित एक सम्मेलन में कहा, “मुझे लगता है कि एक दशक के भीतर हमारे पास पृथ्वी से दूर अन्य ग्रहों पर भी जीवन के बारे में ठोस प्रमाण होंगे। हम 20 से 30 वर्षो की अवधि में इसके बारे में ठोस साक्ष्य जुटा लेंगे।”
उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि कहां और कैसे खोजबीन करनी है। ज्यादातर मामलों में हमारे पास प्रौद्योगिकी है और हम इसे क्रियान्वित करने की दिशा में अग्रसर हैं। मैं सोचती हूं कि यकीनन, हम सही मार्ग पर हैं।”
हालांकि उन्होंने सावधान किया, “हम यहां एलियन के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। हम छोटे-छोटे जीवाणुओं के बारे में बात कर रहे हैं।”
वैज्ञानिक समुदाय कई सालों से परग्रही जीवन की खोज में लगा हुआ है और हाल ही ज्ञात निष्कर्षो से पता चला है कि पृथ्वी और इसके उपग्रहों के आसपास कई ग्रहों में जीवन के अनुकूल जरूरी परिस्थिति हो सकती है।
यहां तक कि हमारी अपनी सौर प्रणाली में भी खगोलविदों को विश्वास है कि ‘एनसेलाडस’ (शनि ग्रह का उपग्रह) पर समुद्र हो सकता है, जबकि बृहस्पति के उपग्रह ‘गेनमेड’ पर भी समुद्र का दावा किया गया है। दोनों उपग्रहों को जीवन के लिहाज से अनुकूल माना जाता है।
नासा के मुताबिक, इसी तरह ‘यूरोपा’ भी इसी श्रेणी में आता है। ‘यूरोपा’ बृहस्पति का उपग्रह है, जहां समुद्र की मौजूदगी भी है। विशेषज्ञों के मुताबिक जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी परिस्थितियां यहां उपलब्ध हैं।
नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री और संस्था के विज्ञान मिशन निदेशालय के सहायक प्रबंधक जॉन ग्रंसफील्ड ने कहा, “मुझे लगता है कि हम अपनी सौर प्रणाली में एक पीढ़ी दूर ही हैं। फिर चाहे वह ठंडे उपग्रह चांद पर हो या मंगल पर हो।”
परग्रही जीवन के अस्तित्व पर चर्चा पुरानी बात हो गई। अब वैज्ञानिक इसके संदर्भ में नए प्रश्न पूछ रहे हैं कि परग्रही जीवन कैसा होता होगा। कितने समय में परग्रही जीवन की मौजूदगी का पता चलेगा और हम इसे कैसे पहचानेंगे?