नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। सरकार को विवादित मुद्दे पर फैसला लेने में मदद करने के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा इंटरनेट तटस्थता (नेट न्यूट्रलिटी) पर स्थापित समिति मई के दूसरे सप्ताह तक अपनी रपट सौंप देगी। यह बात सोमवार को केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कही।
इंटरनेट तटस्थता का मतलब यह है कि सरकार और इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी इंटरनेट पर सभी तरह के डाटा के साथ समान व्यवहार करेगी और उपयोगकर्ताओं, सामग्री, प्लेटफॉर्म, साइट, एप्लीकेशन और संचार के माध्यम के साथ शुल्क में भेदभाव नहीं करेगी।
प्रसाद ने कहा कि चूंकि इंटरनेट का सृजन मानव ने किया है इसलिए आम आदमी को बिना किसी भेद-भाव के इसका लाभ उठाने का अवसर मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की समिति द्वारा मुद्दे के पक्ष और विपक्ष में अध्ययन करने की इस पूरी प्रक्रिया से सरकार को फैसला लेने में सुविधा होगी। प्रसाद ने कहा, “यही कारण है कि हम भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) को इसमें शामिल नहीं कर रहे हैं।”
इंटरनेट समिति में छह सदस्य हैं।
मार्च में ट्राई ने एक पत्र जारी कर उपयोगकर्ताओं और कंपनियों से यह सलाह मांगी थी कि ओवर-द-टॉप सेवाओं का किस प्रकार से नियमन किया जाए। हितधारकों से 24 अप्रैल तक सलाह मांगी गई है। दूसरे चरण की सलाह आठ मई तक भेजने के लिए कहा गया है।
भारती एयरटेल ने हाल ही में एयरटेल जीरो लांच किया है। यह एक विपणन प्लेटफार्म है, जिसके माध्यम से ग्राहकों को मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग करने के लिए डाटा शुल्क नहीं चुकाना होता है।
इंटरनेट तटस्थता पर अमेरिकी संघीय संचार आयोग के पक्ष का समर्थन करते हुए इसके आयुक्त मिग्नॉन क्लिबर्न ने कहा, “नियमों से यह सुनिश्चित होगा कि इंटरनेट हमारे युग में समानता कायम करने वाला एक सबसे महत्वपूर्ण औजार बनेगा।”