काठमांडू, 3 मई (आईएएनएस)।
नेपाल में 25 अप्रैल को आए 7.9 तीव्रता के भूकंप के कारण प्राक़ृतिक (मोरेन) बांध कमजोर हो सकते हैं, जिससे भविष्य में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। वैज्ञानिकों ने रविवार को यह जानकारी दी।
काठमांडू स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) ने जारी एक बयान में कहा, “बर्फ के पिघलने और मानसून आने के बाद भविष्य में भूस्खलन और ग्लेशियर में विस्फोट का खतरा उत्पन्न हो सकता है।”
चीन, जापान, नीदरलैंड और अमेरिका जैसे देशों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुका यह संस्थान ताजा उपग्रह तस्वीरों और नेपाल सरकार व राहत एवं बचाव एजेंसियों के साथ बातचीत कर भूस्खलनों, ग्लेशियर झीलों और नदियों पर नजर रख रहा है।
आईसीआईएमओडी के मुताबिक, “भूकंप की वजह से कुछ ढलानें अस्थिर हो गई हैं, जिनसे भूस्खलन हो सकता है। भविष्य में तत्काल बचाव प्रयासों के लिए इन भूस्खलनों के प्रभावों का आकलन करने की तत्काल जरूरत है।”
नेपाल त्रासदी के बाद आईसीआईएमओडी ने जीआईएस और दूरस्थ सेंसिंग विशेषज्ञों के एक दल का गठन किया है, जिन्होंने दुनिया भर में मौजूद अंतरिक्ष एजेंसियों से उपलब्ध उपग्रह तस्वीरों का विश्लेषण करना शुरू कर दिया है।
बयान के मुताबिक, आईसीआईएमओडी के वायुमंडलीय वैज्ञानिकों के एक दल ने यहां हवाईअड्डे पर अपने कार्यालय की स्थापना की है, ताकि हेलीकॉप्टर पायलटों और उड़ान भरने वाले विमानों के चालकों को मौसम के बारे में पूर्व जानकारी दी जा सके। इसके साथ ही विमान चालकों को मार्गो से परिचित कराने के लिए गूगल अर्थ 3डी तस्वीरें भी प्रदान की जाएंगी।