मॉस्को, 25 दिसम्बर (आईएएनएस)। शोधकर्ताओं के एक दल ने न्यूरल नेटवर्क को वीडियो में लोगों के चेहरे को पहचानने और उनकी लिंग और उम्र का तेजी से पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया है, जो करीब 20 फीसदी अधिक सटीकता से काम करता है।
नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी के हायर स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स के शोधकर्ताओं ने बताया कि यह विकास पहले ही एंड्रायड मोबाइल फोन में ऑफलाइन पहचान का आधार बन चुका है।
आधुनिक न्यूरल नेटवर्क वीडियों में लिंग की पहचान 90 फीसदी सटीकता से कर सकते हैं, लेकिन उम्र की पहचान करना अधिक जटिल है।
सामान्य वीडियो पहचान प्रणालियों में अलग-अलग स्थितियों में या सिर को हल्का से झटका देने से एक ही व्यक्ति की उम्र में पांच साल तक का अंतर आ जाता है।
प्रोफेसर एंड्रे सवचेंको की अगुवाई में कंप्यूटर विजन विशेषज्ञों के एक दल ने न्यूरल नेटवर्क्स के परिचालन को अनुकूलित करने का तरीका ढूंढा।
इस शोध के निष्कर्षो के आधार पर स्मार्टफोन निर्माता ढेर सारी नई प्रणालियां बना सकते हैं, जिनकी सिफारिश की गई है।
उदाहरण के लिए, अगर एक यूजर की छोटे बच्चे के साथ कई तस्वीरें हैं, तो उसे बच्चों के स्टोर के विज्ञापन दिखाए जाएंगे।
अध्ययन में कहा गया, “अगर किसी दिन वे बहुत सारे दोस्तों के साथ तस्वीरें लेते हैं तो उन्हें स्मार्टफोन पर पार्टी के रेस्टोरेंट के विज्ञापन देखने लगेंगे। इस प्रौद्योगिकी में सबसे बड़े स्मार्टफोन निर्माता ने पहले से ही रूचि दिखाई है।”