चंडीगढ़, 2 अक्टूबर –पंजाब सरकार चाहती है कि राज्य के किसान अपने धान की फसलों में विविधता लाएं, ताकि भूमि और जलस्तर पर दबाव घटे। किसानों को बासमती चावल का उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि सामान्य चावल पर निर्भरता घटाई जा सके।
सरकार ने पूरे राज्य में 1,802 केंद्रों पर धान की खरीद बुधवार से शुरू कर दी है और इस सत्र में खरीद का लक्ष्य 1.4 करोड़ टन रखा गया है।
सरकार 1960 के दशक से चले आ रहे धान-गेहूं के चक्र को तोड़ने के लिए धन तथा अन्य फसलों की दूसरी किस्म को प्रोत्साहित कर रही है।
सरकार और विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि किसान बासमती उपजा सकते हैं।
मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने बासमती के मिलों को प्रोत्साहन दिया है।
बाजार शुल्क और ग्रामीण विकास शुल्क को एक फीसदी घटा दिया गया है, ताकि पंजाब से बाहर के खरीदार बासमती खरीदने के लिए प्रेरित हों।
बासमती की खेती के लिए अपेक्षाकृत कम पानी चाहिए और यह कम समय में परिपक्व हो जाती है। इससे किसानों को कमाई भी अधिक होती है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा, “बासमती को प्रोत्साहन विविधीकरण योजना का हिस्सा है, जिसके तहत धान क्षेत्र को घटाने की योजना है।”
प्रवक्ता ने कहा, “पिछले वर्ष 22 लाख टन बासमती की उपज हुई थी। इस वर्ष 34 लाख टन उपज की उम्मीद है।”
चंडीगढ़ के निकट लंद्रान के एक किसान गुरतेज सिंह ने आईएएनएस से कहा, “हमें बासमती की खेती से गुरेज नहीं है। लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अनाज बिक जाएं।”
पंजाब और हरियाणा ने पिछले वर्ष (नवंबर आखिर तक) करीब 1.8 करोड़ टन धन की खरीदी की थी। इसमें पंजाब का योगदान 1.27 करोड़ टन था।
पंजाब ने मई के आखिर तक करीब 1.2 करोड़ टन गेहूं की खरीदी की थी। पड़ोसी हरियाणा में करीब 65 लाख गेहूं की खरीदी हुई थी।
इस साल केंद्र सरकार ने ए श्रेणी के धान के लिए 1,400 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य किस्म के लिए 1,360 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है।