पेरिस, 30 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सोमवार को शुरू हुए वैश्विक जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारतीय पवेलियन का उद्घाटन किया।
मोदी ने कहा, “भारतीय पवेलियन में जलवायु परिवर्तन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और जलवायु न्याय को प्रदर्शित किया गया है।”
उन्होंने कहा, “भारतीय पवेलियन में यह भी दिखाने की कोशिश की गई है कि दुनिया को जलवायु परिवर्तन से आगे बढ़कर जलवायु न्याय पर ध्यान देने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि पवेलियन में पर्यावरण और प्रकृतिक के साथ देश की सहजीविता को भी प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने कहा, “सम्मेलन भारत के भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह हमारी परंपरा, विकास, महत्वाकांक्षा और उपलब्धि का भी एक आईना है।”
मोदी ने एक कॉफी टेबल पुस्तक परंपरा का भी लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि भारत पेरिस सम्मेलन को प्रतिबद्धता और उम्मीद से देखता है।
मोदी यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन प्रारूप संकल्प के तहत पेरिस में आयोजित वार्ताकार पक्षों के सम्मेलन के 21वें सत्र में हिस्सा लेने आए हैं।
उन्होंने कहा, “दुनिया में तत्परता से पहल करनी चाहिए। समझौते से मानव और प्रकृति के बीच संतुलन स्थापित होना चाहिए। भारत का विकास हमारा लक्ष्य और हमारे लोगों का अधिकार है। लेकिन हमें जलवायु परिवर्तन से भी मुकाबले में आगे रहना है।”
उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि देश की 40 फीसदी स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता गैर-जीवाष्म ईंधन आधारित होगी।
मोदी ने कहा, “हमारा लक्ष्य 2022 तक 175 गीगावाट बिजली नवीकरणीय स्रोतों से पैदा करना है। हमने बेहतर शुरुआत की है और 2016 तक 12 गीगावाट उत्पादन होने लगेगा, जो वर्तमान क्षमता से तीन गुना अधिक है।”
उन्होंने कहा, “हम कचड़े से बिजली बनाएंगे।” उन्होंने कहा कि 50 नई मेट्रो रेल परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।
उन्होंने कहा, “वार्ता के प्रति हमारा दृष्टिकोण साझेदारी की भावना, न्याय के सिद्धांत पर आधारित और साझा लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारी वाला है।”