नई दिल्ली, 16 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री वाई. सत्यनारायण चौधरी ने कहा कि प्रदूषित जल को साफ कर खेतों की सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और साफ-सफाई को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्र सरकार और यूरोपीय संघ द्वारा ‘वाटर फॉर क्रॉप’ परियोजना पर आयोजित सम्मेलन में उन्होंने कहा कि खेती के लिए जल संसाधनों की कमी वाले इलाकों में पर्याप्त मात्रा में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध भी कराया जा सकेगा।
मंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत और फसलों की पैदावार बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार और यूरोपीय संघ ने मिलकर औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट जल को साफ करके खेतों में सिंचाई के काम में लाने योग्य बनाने की दिशा में पहल की है। भारत-यूरोपीय संघ द्वारा वित्तपोषित इस योजना की कुल लागत 90 लाख यूरो है।
वाई.एस. चौधरी ने कहा कि परियोजना के तहत निष्प्रयोज्य जल को साफ करने से उसके अंदर मौजूद नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा में कमी आएगी जो कि फसलों की पैदावार बढ़ाएगा। इसके साथ ही उर्वरक और जहरीले पदार्थों को भी पानी से अलग किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि भारत में पानी की समस्या है जिसको देखते हुए यह परियोजना यहां के गांवों के लिए वरदान साबित होगी।
‘वाटर फॉर क्रॉप’ परियोजना के तहत कृषि कार्यो में अपशिष्ट पानी के सुरक्षित प्रयोग से पैदावार में 40 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। जिन फसलों पर यह प्रयोग किया गया उनमें भिंडी, बैंगन, मिर्च आदि फसलें थी। इन फसलों की पैदावार में आमतौर पर साफ पानी का प्रयोग किया जाता है। लेकिन अपशिष्ट पानी को साफ कर दुबारा प्रयोग करने से जहां प्रदूषण में कमी आती है। वहीं, पैदावार में वृद्धि होती है।
मंत्री ने कहा कि इस परियोजना को अब तक पांच राज्यों में राज्य सरकार की सहायता से लागू किया जा चुका है। इसमें कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश शामिल हैं और जल्द ही इस परियोजना को देश भर के गांवों में लागू किया जाएगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने बताया कि गांवों में एक प्लांट लगाया जाएगा जो कि औद्योगिक और घरेलू क्षेत्रों के निष्प्रयोज्य जल को रीसायकल करके सिंचाई उपयुक्त बनाएगा। इस प्लांट को लगाने के लिए तीन से पांच लाख की लागत आएगी।
इस मौके पर भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रसेल्स दौरे के दौरान भारत सरकार और यूरोपीय संघ द्वारा संयुक्त रूप से इस परियोजना पर सहमति बनी थी।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को देखते हुए इस परियोजना की महत्वता है, क्योंकि इससे प्रदूषण कम होगा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर काबू पाने में मदद मिलेगा। साथ ही कम लागत के साथ बेहतर तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए पानी का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकेगा।