नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि इस साल देश में 1,400 से अधिक किसानों की खुदकुशी के लिए दहेज, प्रेम संबंध व नपुंसकता जैसे कारण जिम्मेदार हैं।
उन्होंने राज्यसभा में देश में कई किसानों की खुदकुशी के कारणों को लेकर एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, “राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, किसानों की खुदकुशी के लिए पारिवारिक समस्याएं, बीमारी, मादक पदार्थ, दहेज, प्रेम संबंध तथा नपुंसकता जैसे कारण जिम्मेदार हैं।”
मंत्री ने जवाब में हालांकि कर्ज को भी एक कारण मानने से इंकार नहीं किया।
राज्य सरकार की एक रपट के मुताबिक, कृषि संकट के कारण खुदकुशी करने वालों की संख्या साल 2012 में 1,066, साल 2013 में 890 तथा साल 2014 में 1,400 थी।
जवाब के मुताबिक, जून 2015 तक कुल 263 किसान खुदकुशी कर चुके हैं।
इसी बीच, मंत्री के जवाब पर विपक्षी पार्टियों ने हंगामा किया और सरकार पर असंवेदनशीलता बरतने का आरोप लगाया।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों को उन किसानों की हालत जानने के लिए उनके घर का दौरा करने को कहें।
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता नरेश अग्रवाल ने मंत्री की टिप्पणी को असंवेदनशील करार देते हुए उनसे माफी मांगने की मांग की, जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने किसानों के आत्महत्या के मंत्री द्वारा बताए गए कारणों को हास्यास्पद करार देते हुए कहा कि जमीनी हकीकत कुछ और है।
उन्होंने कहा कि जब से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार सत्ता में आई है, बीते एक साल में संकट के कारण खुदकुशी करने वालों की संख्या में 26 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह जवाब खुदकुशी के असल कारणों से ध्यान भटकाने के लिए दिया गया है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी.राजा ने कहा कि मंत्री का जवाब किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या के प्रति लापरवाही दर्शाता है, जो वास्तव में ऋण के बोझ तले दबकर यह कदम उठा रहे हैं और केंद्र सरकार से उन्होंने इस संकट से उन्हें उबारने की मांग की।
जनता दल (युनाइटेड) के नेता के.सी.त्यागी ने कहा कि यह बयान असंवेदनशीलता के अलावा देश के किसानों का अपमान है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, साल 2014 में कुल 5,650 किसानों ने खुदकुशी की, जिनमें अधिकांश मामले महाराष्ट्र, तेलंगाना तथा छत्तीसगढ़ के हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी रपट ‘एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सूसाइड्स इन इंडिया 2014’ के मुताबिक, कुल 5,650 किसानों ने खुदकुशी की, जिनमें 5,178 पुरुष, जबकि 472 महिलाएं थीं।
आंकड़ों से यह खुलासा होता है, “महाराष्ट्र में किसानों की खुदकुशी के सर्वाधिक 2,578 (45.5 फीसदी), तेलंगाना में 898 (15.9 फीसदी), जबकि मध्य प्रदेश में 826 मामले (14.6 फीसदी) सामने आए हैं।”
रपट के मुताबिक, “महिला किसानों द्वारा आत्महत्या के मामले में तेलंगाना 31.1 फीसदी मामलों के साथ पहले पायदान पर है, जबकि मध्य प्रदेश में 29.2 फीसदी तथा महाराष्ट्र में 14.1 फीसदी मामले सामने आए हैं।”
दिवालियापन/ऋणग्रस्तता के कारण 20.6 फीसदी, जबकि पारिवारिक उलझनों के कारण 20.1 फीसदी किसानों ने खुदकुशी की। इसके अलावा फसल खराब होना (16.8 फीसदी) तथा बीमारी (13.2 फीसदी) अन्य कारण रहे।
रपट के मुताबिक, खुदकुशी करने वाले 65.75 फीसदी किसान 30-60 साल आयुवर्ग के थे। इनमें 59 किसान 18 साल से कम आयु के थे। यहां तक कि साल 2014 के दौरान हर घंटे 15 लोगों ने खुदकुशी की। हालांकि खुदकुशी के मामलों में कमी आई है। साल 2013 में खुदकुशी के 1,34,799 मामले सामने आए थे, जबकि साल 2014 में यह आंकड़ा 1,31,666 रहा।
एक बार फिर खुदकुशी के मामले में महाराष्ट्र 16.307 मामलों के साथ शीर्ष पर रहा, जिसके बाद 16,122 मामलों के साथ तमिलनाडु दूसरे, जबकि 14,310 मामलों के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे स्थान पर रहा।
इसके अलावा, भोपाल में खुदकुशी के मामलों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। साल 2013 में यह 384, जबकि साल 2014 में बढ़कर 1,064 हो गया, जो 177 फीसदी की बढ़ोतरी दर्शाता है। वहीं कानपुर में खुदकुशी के मामलों में 78.7 फीसदी की कमी आई है, जो साल 2013 में 648, जबकि साल 2014 में 138 रहा।