दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक फर्जी ब्रिटिश लिंग्वा को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई तक इसके नाम व लोगो के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।
बीरबल एकेडमी एंड पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड की ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड इकाई एवं स्पोकेन इंगलिश स्किल डेवलपमेंट क्षेत्र के शिक्षण संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा को 17 अक्टूबर को दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली। न्यायालय ने प्रतिवादी चंदन कुमार झा एवं अन्य को नोटिस जारी करते हुए तत्काल प्रभाव से ब्रिटिश लिंग्वा के नाम का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों बीरबल एकेडमी एंड पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड ने दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश विभू बाखरू की खंडपीठ में एक याचिका दायर कर चंदन कुमार झा एवं अन्य द्वारा गैरकानूनी रूप से ‘ब्रिटिश लिंग्वा’ का नाम व स्टाइल का निहित स्वार्थ में दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था।
बीरबल एकेडमी का आरोप है कि दरभंगा जिले के मनीगाछी प्रखंड अंतर्गत माऊंबेहट गांव के निवासी चंदन कुमार झा लंबे समय से ब्रिटिश लिंग्वा के नाम व लोगो का गैरकानूनी इस्तेमाल कर रहा था। वह गैरकानूनी व अनैतिक रूप से मुजफ्फरपुर और आसपास के छात्रों से ब्रिटिश लिंग्वा के नाम पर धन की वसूली कर रहा है।
ब्रिटिश लिंग्वा के वकील सुशील कुमार टेकरीवाल ने कहा कि चंदन कुमार झा का कृत्य न केवल गैरकानूनी है, बल्कि निंदनीय भी है। कंपनी की मुजफ्फरपुर शाखा में ऑफिस असिस्टेंट के पद पर नियुक्त किए गए इस व्यक्ति को बाद में कंपनी ने प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर के पद पर प्रोन्नति दी। लेकिन चंदन कुछ ही दिनों बाद अनैतिक कार्य कर संस्थान की प्रतिष्ठा से खिलवाड़ करने लगा। नतीजतन, उसे संस्थान से निकाल दिया गया। इसके बाद वह ब्रिटिश लिंग्वा के नाम व प्रतिष्ठा का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए करने लगा।
उन्होंने बताया कि चंदन के खिलाफ मुजफ्फरपुर में भी आपराधिक शिकायत पुलिस के समक्ष दर्ज है, स्थानीय पुलिस इसकी जांच कर रही है।
ब्रिटिश लिंग्वा की स्थापना वर्ष 1993 में हुई थी। इसके संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक डॉ. बीरबल झा हैं।