समाचार पत्र ‘डेली मेल’ ने हावर्ड यूनिवर्सिटी के पोषण विशेषज्ञ डेविड लुडविग के हवाले से कहा है, “डाइटिंग करने वाले अधिकांश व्यक्ति शुरुआत में ही हार मान लेते हैं, क्योंकि लगातार कम वसायुक्त, कम कैलोरीयुक्त स्वादहीन भोजन करते रहना कभी-कभी काफी कठिन हो जाता है।”
उन्होंने बताया कि कम वसायुक्त पारंपरिक व्यंजनों में वसा की जगह कार्बोहाइड्रेट और शर्करा की मात्रा अधिक होती है, जो हमारे शरीर को उपवास की उस मुद्रा में ले जाता है जहां से भूख लगने का विषम चक्र शुरू हो जाता है।
लुडविग ने 2012 में हुए अध्ययन का हवाला देते हुए कहा, वह अध्ययन दर्शाता है कि समान ऊर्जायुक्त मध्यम या उच्च वसायुक्त पारंपरिक भोजन ग्रहण करने पर लोगों ने जितनी कैलोरी बर्न की उसकी अपेक्षा जिस दिन उन्होंने कम वसायुक्त भोजन किया उस दिन वे 325 कैलोरी ऊर्जा कम बर्न कर पाए।
लुडविग के अनुसार, लजीज और अपनी पसंद का खाना न केवल आपका पेट भरता है, बल्कि आपकी भूख को भी लंबे समय के लिए शांत कर देता है, जिससे आपको काफी समय तक भूख नहीं लगती।
लंदन के हृदय रोग विशेषज्ञ असीम मल्होत्रा ने इस अध्ययन का स्वागत किया है।
मल्होत्रा ने कहा, “कम वसा वाला आहार आधुनिक चिकित्सा में सबसे बड़ी आपदाओं में से एक हो गया है। मुझे लगता है कि इसकी वजह से मोटापे ने महामारी का रूप ले लिया है। यह समय है कि हमें कैलोरी को मापना छोड़कर पारंपरिक भोजन की तरफ ध्यान देना चाहिए।”