नई दिल्ली, 17 दिसम्बर (आईएएनएस)। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की दर में 25 आधार अंक की वृद्धि के बाद सरकार ने कहा कि देश इसका मुकाबला करने के लिए तैयार है। शेयर बाजार पर भी इस वृद्धि का नकारात्मक प्रभाव नहीं देखा गया।
वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा, “हमें यह देखना है कि फेड आगे किस प्रकार से दर बढ़ाता है। हम फेड की वृद्धि से पैदा होने वाली किसी भी अनिश्चितता से निपटने के लिए तैयार हैं।”
फेड के फैसले का मुद्रा विनिमय बाजार पर भी विशेष असर नहीं देखा गया।
इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च के बंसी माधवानी ने कहा, “निकट भविष्य में रुपये में मजबूती दर्ज की जा सकती है।” उन्होंने कहा कि रुपया डॉलर के मुकाबले 66.3-66.6 पर कारोबार कर सकता है।
माधवानी ने कहा, “हमारी बुनियाद मजबूत है। महंगाई घट रही है। वित्तीय घाटा की स्थिति अच्छी है। इन सभी कारणों से भारत पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा।”
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स गुरुवार को 309 अंकों की तेजी के साथ 25,803.78 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 93 अंकों की तेजी के साथ 7,844.35 पर बंद हुआ।
सरकार की ओर से फेड के फैसले के प्रभाव पर सबसे पहले आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास का बयान आया।
दास ने सुबह कहा कि यह भारतीय निर्यात के लिए अच्छी खबर है।
दास ने ट्विटर पर कहा, “फेड की दर वृद्धि और धीमी गति से आगे बढ़ने का जिक्र उम्मीद के अनुरूप है। भारत इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। आर्थिक तेजी को लेकर फेड का विश्वास हमारे निर्यातकों के लिए शुभ समाचार है।”
बुधवार को फेड ने करीब गत एक दशक में पहली बार मुख्य दर को 0-0.25 फीसदी से बढ़ाकर 0.25-0.50 फीसदी कर दिया।
यह वृद्धि यूं तो छोटी है, यह इस बात का संकेत है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 2007-08 के वित्तीय संकट के बाद सुधार हुआ है।
दास ने कहा, “अनिश्चितता की समाप्ति और भविष्य में उदार परिदृश्य से उभरती अर्थव्यवस्था में नीति निर्माताओं को मदद मिलेगी।”
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के महासचिव ए. दीदार सिंह ने कहा, “फेड का फैसला उम्मीद के अनुरूप है। हमें भारत पर विशेष प्रभाव की उम्मीद नहीं है। हमारी आर्थिक बुनियाद मजबूत है।”
क्रेडिंट रेटिंग एजेंसी फिच के निदेशक-सॉवरेन रेटिंग थोमस रूकमाकर ने कहा, “फेड के फैसले के प्रभाव से भारत यूं तो अप्रभावित नहीं रह सकता है, फिर भी अन्य कई देशों के मुकाबले यह बेहतर स्थिति में है।”